पुणे, पुणे की एक विशेष अदालत ने भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में वरनॉन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को 6 नवंबर तक पुलिस रिमांड पर दे दिया है। जबकि उनकी एक अन्य साथी, सुधा भारद्वाज को फरीदाबाद में हिरासत में लिया गया है। शुक्रवार को पुणे की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। वहीं इस मामले में गौतम नवलखा की गिरफ्तारी पर रोक लगाकर एक नवंबर तक राहत दी है।
28 अगस्त को गिरफ्तार किए गए पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को पुणे लाया जाना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में गिरफ्तारी को चुनौती देने के बाद 26 अक्टूबर तक पांचों आरोपियों को हाउस अरेस्ट में भेज दिया गया, जिन पर 27 अक्टूबर को फैसला आना था, लेकिन कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। भीमा-कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में गिरफ्तार किए गए 5 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को अपना फैसला सुनाते हुए इस मामले में दखल देने से मना कर दिया था। इसके साथ ही पुलिस को अपनी जांच आगे बढ़ाने को कहा था। उल्लेखनीय है कि भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी को हिंसा हुई थी। जिसकी जांच काफी लंबी चली और बाद में कई तार जुड़ते चले गए। यहां तक कि यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश तक जुड़ गया था।
इसी मामले की जांच करते हुए पुणे पुलिस ने पांच वामपंथी विचारकों को हिरासत में लिया था। बाद में उन्हें नजरबंद कर दिया गया था। पांचों कार्यकर्ता वरवरा राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा 29 अगस्त से अपने-अपने घरों में नजरबंद थे।