बच्चे को मोटापे से बचाना है तो गर्भावस्था में खूब ले धूप

लंदन,बच्चों में मोटापे की समस्या आजकल आम होती जा रही है। इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। गर्भावस्था में खानपान और रहन-सहन का भी प्रभाव पड़ता है। ब्रिटिश विशेषज्ञों ने गर्भावस्था के दौरान शिशु को मोटापे से बचाने के कुछ उपाय सुझाए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जिन माताओं में विटामिन डी की कमी होती है उनके बच्चों के मोटापे का शिकार होने की आशंका अधिक होती है। लंदन के इंपीरियल कॉलेज में हुए शोध में शिशु को स्तनपान कराने और फैट रहित स्वस्थ आहार लेने की सलाह दी है। पौष्टिक आहार विशेषज्ञ एडविना रेवेल के मुताबिक शिशु को कम से कम आठ से 10 घंटे जरूर सोना चाहिए। उसकी शारीरिक सक्रियता बढ़ाने पर भी जोर देना चाहिए। बाल रोग विशेषज्ञ शिशुओं को कई समस्याओं से बचाने के लिए स्तनपान की सलाह देते हैं। जन्म के बाद के छह माह में शिशु को मां के दूध से सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। यह उन्हें मोटापे से भी बचाता है। हम सभी को पौष्टिक आहार लेना चाहिए, जिससे हमारी ऊर्जा जरूरतें पूरी हो सकें। बढ़ते बच्चों को भी पौष्टिक आहार की उतनी ही जरूरत होती है, जितनी कि वयस्क लोगों को। इससे उनकी शारीरिक सक्रियता बनी रहती है।
बच्चों को शारीरिक तौर पर सक्रिय रहना चाहिए। आजकल बच्चों में शारीरिक सक्रियता कम होती जा रही है। इससे वे कम उम्र में ही मोटापे के शिकार हो जा रहे हैं। पांच साल के कम उम्र के बच्चों को कम से कम दिन में तीन घंटे तक सक्रिय रहना चाहिए। बच्चों को एकदम से अधिक मात्रा में कुछ भी खाने को नहीं देना चाहिए। शुरुआत में उन्हें जितनी भूख हो उतना ही खाना दिया जाना चाहिए। वे अपने शरीर की ऊर्जा जरूरत के मुताबिक खाना खाएंगे। बच्चा जब पहले दिया हुआ भोजन खत्म कर ले और उसे और खाने की इच्छा है तो उसे दोबारा भोजन देना उचित होगा। बच्चों में मोटापे का प्रमुख कारण आठ घंटे से कम देना सोना भी है। एक से तीन साल के बच्चों को कम से कम 11 से 12 घंटे रात में सोना चाहिए। अगर रात के समय उनकी नींद पूरी नहीं हो रही है तो वे दिनभर सुस्त बने रहेंगे। बेहतर होगा उन्हें दिन में सक्रिय रहने और रात में सोते समय कहानी सुनाने या ऐसे किसी कार्यक्रम में व्यस्त करने की कोशिश करें। छोटे बच्चों को तला-भुना या स्नैक्स खाने में ज्यादा अच्छा लगता है। आहार विशेषज्ञ बच्चों को तला-भुना खाने से दूर रखने की सलाह देते हैं। उन्हें अधिक मीठे पेय पदार्थ, डिब्बाबंद जूस से दुर रखना चाहिए। पारिवारिक पृष्टभूमि भी बच्चों के मोटापे का कारण होती है। माता-पिता में से किसी को भी मोटापे की शिकायत होने पर बच्चों में भी मोटापे का खतरा बढ़ सकता है। बेहतर हो उन्हें जंक फूड से दूर रखा जाए और पोषक आहार लेने की आदत डाली जाए।

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