नई दिल्ली,कश्मीर के कठुआ गैंगरेप मामले में दिल्ली की फॉरेंसिक लैब (एफएसएल) ने सभी सबूतों को सच माना है। एफएसएल रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि मंदिर में मिले खून के निशान पीड़िता के है, जिससे ये बात सत्यापित होती है कि मंदिर के अंदर ही 8 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म किया था। रिपोर्ट के हिसाब से मंदिर में मिले बाल का डीएनए इस केस के 8 आरोपियों में से 1 शुभम सांगरा से मिलते हैं, पीड़िता के कपड़े पर मिले खून के निशान का डीएनए भी शुभभ के डीएनए से मिलता है। रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि पीड़िता के यौनांग में खून पाया गया था।
इस केस की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) टीम को इस बात की शिकायत थी कि उसे जो सबूत मिले हैं, वो आरोपियों को गुनाहगार साबित करने को काफी नहीं थी क्योंकि ऐसी बात सामने आई थी कि आरोपियों ने कथित तौर से कुछ स्थानीय पुलिस कर्मियों के साथ मिलकर पीड़िता के कपड़े धुले थे ताकि सबूत को नष्ट किया जा सके। ये ही वजह थी कि एसआईआटी आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज नहीं कर पा रही थी। मार्च में ही पीडि़ता के कपड़ों, खून, बाल, मल जैसे सबूतों को दिल्ली की फॉरेंसिक लैब में भेजा गया था और इसके साथ ही आरोपी पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया, शुभम सांगरा और परवेश के भी ब्लड सेम्पल भेजे गए थे।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में कठुआ जिले के रासना गांव में बकरवाल समुदाय की 8 साल की बच्ची को 10 जनवरी में अगवा किया गया था। एक हफ्ते बाद घर से कुछ दूर उसका शव बरामद हुआ था। 10 अप्रैल को दायर पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक, बच्ची की गैंगरेप के बाद हत्या की गई थी। आरोप गांव के 1 मंदिर के सेवादार पर लगा। बकरवाल समुदाय को गांव से बेदखल करने के इरादे से यह साजिश रची गई थी। इस मामले में एक नाबालिग समेत 8 लोगों को आरोपी बनाया है। सभी को गिरफ्तार किया है। सेशन कोर्ट इस केस की 28 अप्रैल को सुनवाई करेगा।