नई दिल्ली,महान बल्लेबाज सचिन तेंडुलकर आज जिस मुकाम पर हैं उसमें उनके पिता की अहम भूमिका रही है। सचिन पर लिखी गयी किताब ‘विनिंग लाइक सचिन: थिंक एंड सक्सीड लाइक तेंडुलकर’ से यह खुलासा हुआ है। किताब से सचिन के पिता रमेश तेंडुलकर के उस फैसले के बारे में पता लगा है जिसने न सिर्फ सचिन की जिंदगी बदली बल्कि भारतीय क्रिकेट को एक नया सितारा भी मिला।
किताब के अनुसार 1984 की गर्मियों में सचिन के पिता प्रोफेसर रमेश तेंडुलकर का बेटे के स्कूल बदलने के फैसले ने सचिन की जिंदगी ही बदल दी। मुंबई के बांद्रा आईईएस स्कूल जिसमें सचिन पढ़ रहे थे उसमें क्रिकेट टीम नहीं थी ऐसे में गुरु रमाकांत आचरेकर ने उन्हें सलाह दी कि सचिन को शारदा आश्रम विद्या मंदिर भेजें। पिता ने ऐसा ही किया और इसके बाद जो हुआ वह किसी से छिपा नहीं है। किताब में बताया गया है कि सचिन के घर से शारदा आश्रम विद्या मंदिर के लिए कोई सीधी बस नहीं थी, इस वजह से उन्हें सुबह-सुबह जल्दी उठकर बस बदल-बदलकर स्कूल पहुंचना होता था।
आमतौर पर 7-8वीं क्लास के बच्चे को इंटर स्कूल क्रिकेट टीम में लिया जाता था, लेकिन सचिन छठी क्लास में ही उस टीम में शामिल हो गये थे। किताब के अनुसार, सचिन के पिता ने उनसे कभी भी यह नहीं कहा था कि तुम क्रिकेट सिर्फ छुट्टियों में ही खेला करो और बाकी वक्त पढ़ाई करो। अगर ऐसा हुआ होता तो शायद सचिन वह नहीं बन पाते जिस रूप में हम उन्हें आज देखते हैं।