नर्मदा यात्रा और दिग्विजय का रास्ता भटक दूसरे गांव पहुंचना,अमृता ने शेयर किये अनुभव

भोपाल, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह इन दिनों नर्मदा परिक्रमा पर हैं। महिनों से चल रही इस परिक्रमा में उनकी पत्नी अमृता उनके साथ-साथ चल रही हैं। कंधे से कंधा मिलाकर साथ चल रही अमृता ने फेसबुक अकाउंट के जरिये यात्रा के कुछ अनुभव शेयर किए हैं।
सोशल मीडिया पर अनुभव शेयर करते हुए अमृता ने बताया कि वे रविवार को यात्रा के दौरान रास्ता भटक गए थे और करीब साढ़े सात किलोमीटर का रास्ता गलत तय कर लिया। इस भटकाव वाले अनुभव पर तंज के अंदाज में अमृता ने लिखा कि ‘लेकिन कल का भटकना सुखद रहा’। बता दें कि कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह और उनकी पत्नी अमृता राय की नर्मदा यात्रा 1000 से ज्यादा किलोमीटर का सफर तय कर गुजरात में प्रवेश कर चुकी है।
यहां अपने अनुभव सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए अमृता ने लिखा कि ‘नर्मदा किनारे हम राह भटक गए और तुअर के खेतों से रास्ता ढूँढते हुए पहुँच गए दत्तू भाई के गाँव, सुरासामल। वहाँ पहुँचकर देखा तो मालूम चला कि करीब साढ़े सात किलोमीटर तक चल चुके थे। सो हमने सुस्ताने की जगह तलाशी। तभी सामने आए सरदार खां राठौर। उनसे ही मालूम चला कि गाँव में पटेल और मुसलमान करीब-करीब बराबर की संख्या में हैं। राठौर साहब का ठौर मिला तो हम भी बैठ गए। हमने पहचान शुरू ही की थी कि पीछे से चेतना नामक लडकी चाय लेकर आ गई। चेतना ने केवल सातवीं तक पढ़ाई की थी। बताया कि आगे स्कूल के लिए गाँव से दूर जाना पड़ता है सो वो बाहर नहीं जा सकी और पढ़ाई छूट गई। अब शादी होने का इंतज़ार है। फिर राठौर साहब के घर से भी चाय की ट्रे आ गई। चाय में पूरे भाईचारे का संदेश पाकर अच्छा लगा। उन्होंने हमें थका देखकर वहीं रात बिताने का न्यौता भी दिया लेकिन हमारी मंज़िल मालसर में थी सो हम चल दिए। आगे बढ़े तो दो मौसेरे भाई मिले। दत्तू भाई और लक्ष्मीदास भुवनभाई पटेल। उन्होंने कहा अब आगे का रास्ता हम आपको बताएँगे। हमें अच्छा लगा कि कम से कम अब हम सही राह पर चल सकेंगे। तभी दोनों भाई खेती किसानी पर बात करते करते कहने लगे- खेडुत कंटाली गया छै। भाषा नई थी सो कई बार समझाने पर पता चला कि वो ये कह रहे हैं कि किसानी में बडी समस्या आ गई है। उपज तो है पर भाव नहीं मिल रहे।
कुछ मायूसी के साथ बताते रहे कि गुजरात संदेश में पढ़ा था कि सरकार कपास में ५०० रुपये बोनस सब्सिडी देगी, लेकिन दो महीने हो गए बेचने का भी पैसा नहीं मिला। भाव भी गए साल ५००० रुपये था इस साल ४३०० में ही बिका। इस प्रकार भटकना सुखद रहा।’

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