अरब की दो टूक : यरुशलम पर अपना फैसला बदले डोनाल्ड ट्रंप

काहिरा,यरूशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के फैसला करना ट्रंप के लिए परेशानी का कारण बनाता जा रहा है। रविवार को अरब के विदेश मंत्रियों ने अमेरिका से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा येरूशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के फैसले को रद्द करने की मांग की। उन्होंने इस गंभीर और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। प्रस्ताव में मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से एक प्रस्ताव लाने की मांग की जिसमें ट्रंप के फैसले की आलोचना हो। हालांकि यह अनुमान भी जताया कि इसपर वॉशिंगटन वीटो का इस्तेमाल कर सकता है।
फिलस्तीन के विदेशमंत्री रियाद अल मालिकी ने काहिरा में बताया कि अमेरिका इस प्रस्ताव पर रोक लगा देता है तो अरब संयुक्तराष्ट्र महासभा में इस तरह के प्रस्ताव की मांग करेगा। शनिवार रात शुरू हुई आपात बैठक में पेश दो पन्नों के प्रस्ताव में अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार या वॉशिंगटन के साथ संबंधों को निलंबित या कम करने जैसी किसी दंडात्मक कार्रवाई का जिक्र नहीं है। गाजा और वेस्ट बैंक में सड़कों पर फिलस्तीनी लोगों की जो नाराजगी नजर आई, यह कदम उसके मुताबिक नहीं है।
यहां ट्रंप के फैसले के खिलाफ तीन दिन तक हिंसक प्रदर्शन हुए थे। अरब लीग के प्रमुख अहमद अबुल घेइट ने कहा,हमने राजनीतिक फैसला लिया है जो सड़कों पर प्रदर्शन का प्रतिबिंब नहीं है। राजनीतिक काम एक जिम्मेदारी वाला काम है। यरूशलम पर बीते 50 वर्षों से कब्जा है। यह लंबी लड़ाई और तेज होगी। प्रस्ताव में कहा गया है कि मंत्री महीने भर के भीतर फिर मुलाकात करेंगे।
वहीं दूसरी ओर प्रभावशाली संरा सुरक्षा परिषद में शनिवार (9 दिसंबर) को अमेरिका अलग थलग पड़ गया। सदस्य देशों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के फैसले पर अमेरिका से किनारा कर लिया। यहां तक कि ब्रिटेन और फ्रांस जैसे अमेरिका के करीबी सहयोगियों ने भी इस फैसले के लिए अमेरिका को खुलेआम फटकार लगा दी। संरा की 15 सदस्यीय प्रभावशाली संस्था की आपात बैठक में केवल अमेरिकी राजदूत निक्की हैली ने ही येरुशलम पर ट्रंप के फैसले का समर्थन किया। ब्रिटेन,फ्रांस,इटली,जर्मनी और स्वीडन ने संयुक्त वक्तव्य में कहा, यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने और अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से यरुशलम ले जाने की तैयारियों के अमेरिका के फैसले से हम असहमत हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *