पद्मावती विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार,मंत्रियों की बयानबाजी से खफा है शीर्ष अदालत

दिल्ली,पद्मावती पर जारी विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। उसके निशाने पर वह मुख्यमंत्री, मंत्री और जनप्रतिनिधि भी रहे, जिन्होंने हाल के दिनों में पद्मावती को लेकर गैर-जिम्मेदार बयान दिए। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हिदायत दी कि फिल्म के खि‍लाफ बयानबाजी बंद करें। इससे खराब माहौल बन रहा है। उसने यह टिप्पणी एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान की।
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जो फिल्म सेंसर बोर्ड की ओर से क्लीयर नहीं हुई है, जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग उस पर कैसे टिप्पणी कर सकते हैं? उसने केंद्र सरकार से कहा कि वह सुनिश्चित करे कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की तरफ से बयानबाजी नहीं होगी। दरअसल,पद्मावती को लेकर कई केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने विवादित बयान दिए। कुछ नेताओं ने पद्मावती के निर्देशक संजय लीला भंसाली और एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण के सिर और नाक काटने की धमकी दी। माना जा रहा है कि ऐसे बयानों ने आग में घी डालने का काम किया।
हरियाणा बीजेपी के चीफ मीडिया को-ऑर्डिनेटर सूरजपाल अमू ने कहा था कि संजय लीला भंसाली और दीपिका पादुकोण का सिर काटने वाले को 10 करोड़ का इनाम दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि विरोध-प्रदर्शन और धमकियों के लिए भंसाली भी समान रूप से जिम्मेदार हैं। उन्हें लोगों की भावनाओं से खेलने की आदत हो चुकी है। इस विवाद में प्रदर्शनकारियों के साथ फिल्म निर्माताओं के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राजपूतों की आपत्तियों का समर्थन किया था। जबकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एलान किया था कि पद्मावती मध्यप्रदेश की धरती पर रिलीज नहीं होगी। पद्मावती को राष्ट्रमाता करार देते हुए उन्होंने कहा था, ऐतिहासि‍क तथ्यों से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

 

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