हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन से मुकाबला करेगा चार देशों का महागठबंधन

मनीला, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये से मुकाबले के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ने एक साथ आने का संकल्प लिया है। बातचीत के दौरान इन देशों ने स्वीकार किया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र से दीर्घकालिक वैश्विक हित जुड़े हैं। इस क्षेत्र में सहयोग और उसके भविष्य की स्थिति पर चारों देशों ने मनीला में पहली बार आधिकारिक स्तर की बातचीत की।
चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक शक्ति के बीच इन देशों ने स्वीकार किया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र से दीर्घकालिक वैश्विक हित जुड़े हैं। भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान को मिलाकर चतुष्कोणीय संगठन बनाने का विचार दस साल पहले आया था। अब जाकर यह अस्तित्व में आ पाया है। गौरतलब है कि दक्षिण चीन सागर के इलाके में चीन का कई पड़ोसी देशों से विवाद है। हिंद महासागर के क्षेत्र में भी वह अपना प्रभाव बढ़ाने की जुगत में लगा है। चार लोकतांत्रिक देशों के बीच यह पहली बैठक आसियान सम्मेलन से ठीक पहले आयोजित की गई है। इसमें आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने और अन्य सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा की गई। आसियान के सम्मेलन में भी दक्षिण चीन सागर में चीन के सैन्यीकरण का मुद्दा प्रमुखता से उठ सकता है।
नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया कि भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के अधिकारियों ने मनीला में मुलाकात की। इस दौरान हिद-प्रशांत क्षेत्र में पारस्परिक हित के कई मसलों पर चर्चा की गई। बयान में बताया गया है कि चर्चा के दौरान इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और खुशहाली के लिए सहयोग बढ़ाने पर मुख्य रूप से ध्यान दिया गया। चारों देशों के बीच सहमति बनी कि एक स्वतंत्र, खुला, समृद्ध और समावेशी हिद-प्रशांत क्षेत्र इन सभी देशों और दुनिया के दीर्घकालिक हितों के लिए कार्य कर सकता है। भारतीय अधिकारियों ने जोर देकर कहा भारत की “एक्ट ईस्ट” नीति इस क्षेत्र में हमारे कार्यों की आधारशिला है।
उल्लेखनीय है कि आसियान देश भारत की विदेश नीति के केंद्र रहे हैं। 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने लुक ईस्ट पॉलिसी शुरू की थी। क्षेत्रीय देशों के संगठनों से सहयोग बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने इसे एक्ट ईस्ट पॉलिसी में बदल दिया है। मोदी ने रविवार को भी दिल्ली से मनीला रवाना होने से पहले बयान जारी कर कहा कि इस यात्रा का मकसद सरकार की “एक्ट ईस्ट पॉलिसी” को बढ़ावा देना भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित रात्रिभोज के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के प्रधानमंत्री ली कछ्यांग से मुलाकात की। मोदी नेताओं के स्वागतकक्ष में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, रूस के प्रधानमंत्री दमित्रि मेदवेदेव और मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजक से भी बातचीत करते देखे गए। फिलीपींस के राष्ट्रपति रॉड्रिगो दुतेर्ते के पासाय सिटी के भव्य कन्वेंशन सेंटर में आयोजित स्वागत समारोह के दौरान उन्होंने कई अन्य नेताओं के साथ बातचीत की।

मोदी ने राइस रीजिलिंट राइस फिल्ड का ‎किया उदघाटन
फिलीपींस की राजधानी मनीला में आसियान सम्मेलन में शा‎मिल होने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉस बनोस में बने इंटरनेशनल राइस रिसर्ट इंस्टीट्यूट का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने राइस रीजिलिंट राइस फिल्ड का उदघाटन भी किया। इससे पहले मोदी ने आसियान समिट के उदघाटन समारोह में हिस्सा लिया। कार्यक्रम में कलाकारों ने रामायण की प्रस्तुति भी दी। इस सम्मेलन में मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा फिलीपींस के प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करेंगे। तीन दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी आसियान की बिजनेस और इन्वेस्टमेंच समिट को भी संबोधित करेंगे। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी 50वें आसियान सम्मेलन में भाग लेने रविवार को तीन दिनी यात्रा पर फिलीपींस की राजधानी मनीला पहुंचे। 36 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमत्री ने फिलीपींस की यात्रा की है। उनके पहले 1981 में इंदिरा गांधी मनीला आई थीं। मोदी 15वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन और 12वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *