चिकित्सकों की हड़ताल से मरीजो की जान पर बन आई

जयपुर,प्रदेश के 10 हजार सेवारत चिकित्सकों के इस्तीफे के बाद आज से 33 जिलो के अस्पतालो, 579 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो में भर्ती 20 हजार मरीजों और आउटडोर्स में आने वाले करीब सवा लाख मरीजों की जान सांसद में है। पहले ही दिन समय पर इलाज नहीं मिलने से भरतपुर के नगर कस्बे के सरकारी अस्पताल में भर्ती एक गर्भवती महिला की मौत हो गई।
राजधानी सहित दूसरे जिलो में चिकित्सा सुविधा चरमरा गई सेवारत चिकित्सक बीते तीन माह से आंदोलन कर रहे थे लेकिन सरकार की ओर से ठोस वार्ता का प्रयास नहीं किया गया। जब डॉक्टर्स ने अपने इस्तीफे सरकार को सौपकर काम पर आने से इनकार कर दिया तब मंत्री से लेकर विभाग के आलाअधिकारी वार्ता में जुटे। आज फिर से डॉक्टर्स से बात करने की कोशिश की जाएगी इसी के साथ सरकार ने वैकल्पिक इंतजाम का दावा किया है लेकिन सरकारी दावें की पोल पहले ही दिन खुलती हुई नजर आई और अस्पतालों से मरीज लौटते दिखाई दिए। चिकित्सा मंत्री प्रमुख चिकित्सा सचिव ने सेवारत चिकित्सकों के संगठन से देर रात तक वार्मा की कई बार ऐसा लगा जैसे सहमति बन रही है और विवाद टल सकता है लेकिन आखिरकार सरकार ने पूरे मामले पर निस्तारण के लिए दो माह का समय मांग लिया और कहा कि दिसंबर के अंत तक मांगों को पूरा करने का प्रयासस किया जाएगा इस पर डॉक्टर्स बैठक छोडकर चले गए। डॉक्टर्स ने कहा कि उनका आंदोलन तीन महीने से चल रहा है सरकार को आज ही आदेश करने होंगे तभी अस्पतालों डिस्पेसरियों में पहुंचने वाले मरीजों के मर्ज की जांच और इलाज हो सकेगा। डॉक्टर नहीं होने के कारण डॉक्टरों द्वारा प्रतिदिन सैकडो की संख्या में जांच लिखी जाती व एक्स रे करवाया जाता था लेकिन डॉक्टरों के नहीं आने के कारण सूने पडे रहे लैब व एक्स रे के कर्मचारी इधर उधर घूमते नजर आए। वहीं झालाना जैसे ही हालात गांधी नगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में बने हुए देखे गए यहां भी मौसमी बीमारियों से ग्रस्त मरीज इलाज की आस में पहुंच लेकिन उनको वहां चिकित्सक नहीं मिले और मरीज निजी अस्पतालों में उपचार के लिए चले गए। हालांकि डिस्पेसिरियों में नर्सिग स्टाफ मौजूद था लेकिन उनके सामने भी यही समस्या थी कि वे मरीजो की मरहम पटटी जांच तो कर देंगे लेकिन दवाएं तो चिकित्सक ही लिखेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *