लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर युद्ध जैसा नजारा, विमानों का टच डाउन देखने उमड़े हजारों लोग

लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी को कानपुर से जोड़ने वाले जिले उन्नाव के बांगरमऊ क्षेत्र में मंगलवार को युद्ध जैसा नजारा था। वहां वायुसेना के एक दर्जन से अधिक फाइटर प्लेन के साथ ही चार मालवाहक विमान की हैरत में डालने वाली लैंडिग तथा टेक-ऑफ देखने उमड़े हजारों लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली। लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर भारतीय वायुसेना से फाइटर प्लेन गरज रहे थे। मात्र 15 से 20 सेकेंड में यह विमान लखनऊ-आगरा एक्सप्रसवे पर उतरे। यह नजारा देखने लायक था और इसके प्रत्ययदर्शी बने वायुसेना तथा उत्तर प्रदेश के तमाम अधिकारियों के साथ ही हजारों लोग। वायुसेना ने भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए हाइवे पर उड़ान भरी। ऐसा पहली बार हुआ, जब उन्नाव के पास बांगरमऊ हाइवे पर 17 विमानों ने हाइवे पर टच डाउन किया। जब एक्सप्रेस-वे बन रहा था, तब वायुसेना के अनुरोध पर पांच किलोमीटर सड़क को रनवे की तरह ही तकनीकी तौर पर मजबूत बनाया गया था। भारतीय वायुसेना के 15 लड़ाकू विमानों ने आगरा एक्सप्रेस-वे पर इतिहास रचा। पिछले 15 दिनों से इन 15 लड़ाकू विमानों के जांबाज पायलट कड़ा अभ्यास कर रहे थे। लड़ाकू विमान सुपरसोनिक सुखोई एसयू-30, जगुआर और मिराज जब आगरा एक्सप्रेस-वे पर उतरे, तो उनकी गति 260 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। वैसे तो एक्सप्रेस-वे का पांच किलोमीटर का हिस्सा विमानों के टच और उड़ान भरने के लिए लिया गया था, लेकिन केवल तीन किलोमीटर एक्सप्रेस-वे का इस्तेमाल किया गया। तेज गति से विमान तीन सौ मीटर के पैच पर ही उतरे। इस दौरान चार सेकेंड के लिए जमीन को छुआ। बीते वर्ष भी वायुसेना के आठ लड़ाकू विमानों ने इसी जगह एक्सप्रेस-वे पर और 2015 में मथुरा के पास यमुना एक्सप्रेस-वे पर टच डाउन किया था। जिस जगह वायुसेना के लड़ाकू विमान को टच डाउन कराया गया, वह आम सड़क के साथ रनवे भी है।
उसे खासतौर पर रनवे की तरह बनाया गया है, ताकि वह लड़ाकू विमान का दबाव झेल सके। इसके पीछे सोच यह है कि आपात हालात में जब रनवे विमान के लिए उपलब्ध नहीं हो, तो लड़ाकू विमानों को उतारा जा सके। देश में ऐसा प्रयोग पहली बार 2015 में किया गया था, जब वायुसेना के मिराज लड़ाकू विमान ने किसी राजमार्ग पर टच डाउन किया था। दूसरी बार ऐसा प्रयोग बीते साल लखनऊ के पास इसी जगह पर किया गया था, जो पूरी तरह से सफल रहा था। दलअसल ऐसा इस कारण से किया जा रहा है कि अगर जंग के दौरान एयरबेस बरबाद हो जाता है तब राजमार्ग का इस्तेमाल कर लिया जाए है। मंगलवार सुबह 10 बजे अमेरिका से स्पेशल ऑपरेशन के लिए लाए गए सी-130 की लैडिंग से इस अभ्यास की शुरुआत हुई। परिवहन विमान से निकलकर वायुसेना के गरुड़ कमांडो ने अपना जौहर दिखाया। इसके बाद दुश्मन के इलाके में घुसकर काफी नीचे तक मार करने वाले तीन जगुआर, करगिल जंग में पाकिस्तानी घुसपैठियों के छक्के छुड़ाने वाले छह मिराज-2000 और वायुसेना का सबसे खतरनाक और हर तरह के रोल में फिट छह सुखोई-30 जमीन को छूकर उड़ गए। वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने न केवल टच डाउन किया, बल्कि फोर्मेशन में उड़ान भरते हुए हवाई करतब भी दिखाए।

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