एमपी में ई-पंचायत योजना को लगा पलीता, पंचायत भवनों से कम्प्युटर सामग्री नदारद

अशोकनगर,जिले में ई-पंचायत योजना के अन्तर्गत सभी पंचायतों को जोडऩे की योजना ठप हो गई है। इस योजना के तहत दी गई सामग्री भी पंचायत भवनों से नदारद है। ऐसे में शासन की यह योजना जिले में बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। इस योजना से शासन का उद्धेश्य था कि जिले की सभी ग्राम पंचायतों को प्रदेश एवं देश के नेटवर्क से जोडक़र ग्रामीण क्षेत्र के हर व्यक्ति को सीधा लाभ पहुंचाया जा सके। मगर जिले भर में इस योजना के तहत दी गई कीमती सामग्री ही पंचायत भवनों के ई कक्षों से नदारद है। इस योजना के तहत कम्प्युटर हार्डवेयर एवं नेटवर्किंग के माध्यम से दी जाने वाली ग्रामीणों को कॉमन सर्विस की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जानकारी के मुताबिक जिले भर में 300 से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। इन ग्राम पंचायतों में बीते कुछ वर्षों पहले ही शासन द्वारा ई-पंचायत शुरु करने के लिए कीमती सामग्री दी गई थी जिसमें डेक्सटॉप कम्प्यूटर, लेजर प्रिंटर तथा स्केनर, इन्वरटर, एलसीडी 40 टीवी सहित अन्य सामग्री दी गई थी। सामग्री ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराने के बाद पंचायत के सचिव एवं ग्राम रोजगार सहायकों को कम्प्युटर का प्रशिक्षण भी दिया गया था। जिसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की सभी योजनाओं की मूलभूत जानकारियों के संकलन एवं पंचायत की बेबसाइड बन जाने के बाद सीधे जनपद, जिला एवं प्रदेश स्तर तक जानकारियों के आदान प्रदान की सुविधा दी गई थी। सारी सुविधाए मिल जाने के बाद भी जिले भर में यह योजना अपना मूर्त रुप नहीं ले सकी है। इस ई-पंचायत नेटवर्किंग के माध्यम से ग्राम पंचायतें अपने क्षेत्र के व्यक्तियों को रेलवे के ई-टिकिट सुविधा से लेकर शासन की योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराना था। इस सब सुविधाओं के बावजूद भी गांवो में लोगों को ग्रामीण खेतीहर मजदूरों को गांव से शहर जानकारी लेने आना पड़ता है।
घरेलु उपयोग बनकर रह गई योजना:
जिले भर में संचालित होने वाली ई-पंचायत योजना पंचायत पदाधिकारियों की घरेलु उपयोग की सुविधा बनकर रह गई है। इस योजना के तहत दी गई कीमती सामग्री भी पंचायत भवनों के बजाय गांव से बाहर शहर और कस्बाई क्षेत्रों में रह रहे पंचायत सचिवों-रोजनगार सहायकों के घरों पर पहुंच गई है। वहां न तो ग्रामीण योजना की जानकारी लेने पहुंच सकते हैं और न ही उनका उपयोग हो पा रहा है। ऐसे में पंचायत के पदाधिकारियों के द्वारा एलईडी का उपयोग टीवी के रुप में और इन्वटर का उपयोग घर की बिजली जलाने में किया जा रहा है। पंचायत के पदाधिकारियों के लिए उक्त महंगी पंचायत सामग्री का सद्उपयोग करने के लिए पंचायत के अधिकारियों सहित प्रशासनिक अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिससे उक्त सामग्री का दुरुपयोग हो रहा है।
गांवों तक पहुंचा बाई-फाई:
जिले के 300 से अधिक पंचायत मुख्यालयों तक ऑफ्टर फायवर लाइन बिछाई गई है। यह लाइन ग्राम पंचायत में शुरु हुई ई-पंचायत योजना के लिए बिछाई गई है। लाइन बिछने के बाद गांव-गांव तक बाई-फाई नेटवर्क तो पहुंच गया है। पर इस नेटवर्क का ग्रामीणों को कहीं कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है और न ही ग्रामीण बाई-फाई का उपयोग कर पा रहे हैं। जहां ई-पंचायत की सामग्री पंचायत मुख्यालय से कोसों दूर है तो वहीं नेटवर्क भी जमीन में दबा हुआ है।

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