चंडीगढ़, पंजाब में हिंदू संगठनों के नेताओं पर हो रहे हमलों के लिए धार्मिक कट्टरता जिम्मेवार है। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक पंजाब में इन हमलों के पीछे खालिस्तानी उग्रवादी संगठनों का हाथ है। 26 सितंबर-2017 को लुधियाना से पकड़े गए बब्बर खालसा इंटरनेशनल के सात उग्रवादियों ने पुलिस पूछताछ में खुलासा किया है कि उनके निशाने पर खालिस्तान विरोधी हिंदू नेता थे। पंजाब पुलिस ने बब्बर खालसा इंटरनेशनल के सात उग्रवादियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से तीन पिस्तौल और 33 जिंदा कारतूस बरामद किए, जिससे साफ होता है कि उनके इरादे खौफनाक थे।
सीबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक इन हत्याओं को अंजाम देने का तरीका लगभग एक जैसा है और हत्या के लिए एक ही किस्म के घातक हथियारों जैसे, 32 बोर रिवॉल्वर और नौ एमएम गन का इस्तेमाल किया गया। हिंदू नेताओं पर हमले करने वाले ज्यादातर हमलावर दोपहिया वाहनों पर ही सवार होकर आते हैं और उनके मुंह ढंके होते हैं। बता दें कि सीबीआई को सौंपी गई हिंदू नेताओं की हत्या की जांच मुकम्मल हो चुकी है। उसने जनवरी-2016 और जुलाई-2017 के बीच हमले में मारे गए आरएसएस, शिवसेना, हिंदू तख़्त और दूसरे नेताओं के अनुयायियों पर हमले में इस्तेमाल किए गए 33 बुलेट सीएफएसएल केंद्रीय फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी को सौंपे थे। सीबीआई की जांच में सामने आया है कि हिंदू नेताओं पर ज्यादातर हमले शनिवार को हुए। फिलहाल हिंदू नेताओं पर हो रहे हमलों में शामिल सभी अपराधी पुलिस की पकड़ से बाहर है। बताते चलें कि सिख कट्टरपंथियों ने वर्ष-2002 में राष्ट्रीय सिख संगत को सिख विरोधी करार दिया था। बब्बर खालसा इंटरनेशनल नाम के खालिस्तानी संगठन ने 2009 में राष्ट्रीय सिख संगत के अध्यक्ष रुलदा सिंह की पटियाला में गोली मार कर हत्या कर दी थी। उसके बाद कई वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाया गया। जनवरी-2016 को लुधियाना के संघ के सचिव नरेश कुमार पर हमला किया गया, हालांकि वह इस हमले के बाद जीवित बच गए। फरवरी-2016 में लुधियाना के किदवई नगर में चलाई जा रही शाखा पर गोलियां बरसाई गईं, संयोगवश कोई भी संघ कार्यकर्ता घायल नहीं हुआ। अगस्त-2016 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उपाध्यक्ष, ब्रिगेडियर (सेवानिवृत) जगदीश गगनेजा पर हमला हुआ। उसके कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई। 17 अक्टूबर को लुधियाना के कैलाश नगर में एक और वरिष्ठ संघ नेता रविंद्र गोस्वामी को गोलियों का शिकार बनाया गया। गोसाई स्थानीय शाखा के प्रमुख थे।
पंजाब में संघ के बढ़ते प्रभाव से चिंतित हैं खालिस्तानी:-
पिछले कुछ वर्षों से पंजाब में संघ की शाखाओं का विस्तार तेजी से हुआ है। पंजाब के शहरों सहित सरहदी इलाकों में भी शाखाएं चल रही हैं। शाखाओं के विस्तार में 2014 के बाद तेजी आई, जब मोहन भागवत ने पंजाब के हिंदू डेरों के ताबड़तोड़ दौरे किए। 2014 से पहले पंजाब में शाखाओं की संख्या छह सौ थी, जो अब बढ़कर नौ सौ हो गई है।
सिख धर्म को हिंदू धर्म का हिस्सा बताता है संघ:-
पंजाब में बढ़ रही संघ की गतिविधियों से कट्टरपंथी खालिस्तानी उग्रवादी संगठन परेशान हैं। दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सिख धर्म को एक अलग धर्म मानने के बजाय उसे हिंदू धर्म का ही एक हिस्सा मानता है। सिखों को जोड़ने के लिए संघ ने नवंबर-1986 में राष्ट्रीय सिख संगत स्थापित की थी, जिसका मकसद हिंदू और सिक्खों को करीब लाना था। 2014 तक पूरे देश में 450 से अधिक राष्ट्रीय सिख संगत की इकाइयों थीं, जिनमें से 15 से अधिक पंजाब में थीं। खालिस्तानी उग्रवादी संगठन न केवल सिख धर्म को एक स्वतंत्र धर्म मानते हैं, बल्कि पंजाब को खालिस्तान नाम का अलग देश बनाने का सपना भी पाले हुए हैं। पाकिस्तान, कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई देशों में सक्रिय खालिस्तान समर्थक पंजाब को खालिस्तान बनाने के लिए सोशल मिडिया पर रेफरेंडम 2020 नाम से एक कैम्पन भी चला रहे हैं।