महाराष्ट्र में सरकारी बसों की हड़ताल से बढ़ी परेशानी, सरकार-कर्मचारियों में बातचीत बेनतीजा

मुंबई,महाराष्ट्र में स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसों में सफर करने वालों के लिए गुरुवार का भी दिन मुश्किल भरा रहा. त्योहार के दिन राज्य में सरकारी बसों की हड़ताल ने लोगों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. सोमवार की मध्यरात्रि से जारी महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) की बसों की हड़ताल से लोग परेशान हैं. सरकार और हड़ताली कर्मचारियों में बातचीत बेनतीजा रहने से त्योहार के समय में लोगों के लिए मुसीबत बढ़ गई है. आपको बता दें कि कर्मचारी बोनस और वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर बेमियादी हड़ताल पर हैं. सरकारी बस कर्मचारियों की पांच यूनियन हैं जिनमें से चार यूनियन से जुड़े लोग हड़ताल पर हैं. एक बड़ा यूनियन शिवसेना की भारतीय कामगार सेना हड़ताल पर नहीं गई है. एमएसआरटीसी की बसों से रोजाना औसतन 65 लाख यात्री सफर करते हैं. त्योहारों के मौके पर यह तादाद बढ़ जाती है. ऐसे में इन लोगों का हाल बेहाल है. खासकर दिवाली के वक्त हड़ताल से ग्रामीण इलाकों में जाने वाले यात्रियों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. यात्रियों को गांव जाने के लिए दुगुना-तिगुना किराया देना पड़ रहा है. गुरुवार का दिन हड़ताल का तीसरा दिन था और बस डिपो में सन्नाटा छाया हुआ है. कतार में बसें खड़ी हैं और कर्मचारी भी नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में सबसे अधिक दिक्कतें उन लोगों को झेलनी पड़ रही हैं, जिन्हें घर जाना है. बसें ना मिलने से ट्रेनों में भारी भीड़ है. हड़ताल खत्म करने के लिए सरकार ने अपनी पूरी ताकत लगा दी लेकिन उसे सफलता हाथ नहीं लगी. सरकार ने कर्मचारियों को धमकी देते हुए कहा कि बुधवार की रात 12 बजे तक काम पर वापस नहीं लौटे, तो उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जाएगी. साथ ही उनकी जगह ठेके पर कर्मचारियों को रख लिया जाएगा.
लेकिन सरकार की धमकी का कोई असर कर्मचारियों पर नहीं पड़ा है.
– 17,500 गाड़ियां डिपो से बाहर नहीं निकली
गौरतलब है कि राज्य में 1.2 लाख एसटी कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी है, जिससे 17,500 गाड़ियां डिपो से बाहर नहीं निकली. इससे प्रतिदिन 65 लाख यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. हड़ताल के मुद्दे पर परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की.
– क्या है मांग?
कर्मचारी यूनियन की मांग है कि 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की जाए और उन्हें 1 जुलाई से 7 प्रतिशत बढ़ाकर घोषित महंगाई-भत्ता लागू किया जाए. इसके साथ अन्य बकाया सरकार जारी करे तभी हड़ताल वापस होगी. राज्य परिवहन निगम सालाना 7,000 करोड़ रुपये का कारोबार करता है. परिवहन मंडल को रोजाना करीब दो करोड़ रुपये का घाटा होता है.
– मुख्यमंत्री फडणवीस की अपील का असर नहीं
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कर्मचारियों से हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने की अपील की. सीएम का कहना है कि सरकार उनके वेतन वृद्धि के पक्ष में है, लेकिन उसकी रूप-रेखा क्या होगी इस पर विचार किया जाना बाकी है. अपनी बात दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि परिवहन विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा. उस समिति में एसटी महामंडल के व्यवस्थापकीय संचालक व एसटी कर्मचारी संगठनों के सदस्य शामिल होंगे. समिति समस्या का हल करने का राह निकालेगी.
– विपक्ष का दावा, एक कर्मचारी की हुई मौत
बताया जा रहा है कि हड़ताल के दौरान अहमदनगर जिले में एक कंडेक्टर की मौत हो गई है. कांग्रेस नेता व विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कंडेक्टर की हुई मौत के लिए सरकार की को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण हड़ताल हो रही है. गांव-गांव में यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने वाले कर्मचारियों की समस्याओं को हल करने में यह सरकार विफल रही हैं.

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