चार महीने से लटकी है एयरक्राफ्ट को टेक ऑफ करने की मंजूरी,प्रधानमंत्री जी, क्या हमें रिश्वत देनी पड़ेगी?

मुंबई,क्या हमें 5.4 करोड़ का नुकसान बचाने के लिए रिश्वत देना होगी। यह बात मुंबई की सुप्रीम एयरलाइंस कंपनी के सीईओ अमित कुमार अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर पूछा है। उन्होंने कहा कि उनके नए एयरक्राफ्ट को टेक ऑफ करने की मंजूरी के लिए सर्टिफिकेट ऑफ एयरवर्दिनेस (सीऑफए) देने के लिए चार माह तक फाइल बेवजह भोपाल से दिल्ली, मुंबई और फिर भोपाल तक घुमाई गई। इसके चलते उनका एयरक्राफ्ट 135 दिन ग्राउंडेड रहा, जिससे उन्हें चार लाख रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 5.4 करोड़ का नुकसान हुआ। कंपनी के सीईओ ने कहा कि हमारी कंपनी नो करप्शन एटिटयूड सुनिश्चित किया था, जिसके चलते उन्होंने करोड़ों का नुकसान भी उठाया है। मजेदार बात यह है कि लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के बेटे मिलिन महाजन इस कंपनी के कंट्री एकाउंटेबल मैनेजर हैं, उन्होंने भी एयरक्राफ्ट की मंजूरी के लिए काफी प्रयास किया, लेकिन डीजीसीए के अफसरों ने नए एयरक्राफ्ट को टेक ऑफ की मंजूरी चार माह तक लटका कर रखी। सीईओ ने इस मामले में मिनिस्टर ऑफ सिविल एविएशन ए. गजपति राजू, मिनिस्टर ऑफ स्टेट सिविल एविएशन जयंत सिन्हा और मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन सेक्रेटरी राजीव नारायण चौबे को भी पत्र लिखकर कहा है कि उन्हें चार माह तक भटकाने से साबित होता है कि डीजीसीए की ब्यूरोक्रेसी कितनी इनएफिशिएंट है। उन्होंने यह भी कहा है कि क्या डीजीसीए उनकी कंपनी को हुए करोड़ों के नुकसान की भरपाई करेगा। सीईओ ने यह भी कहा है कि यह हमारा ही नहीं, बल्कि देश का नुकसान है, जिसके कारण 12 हजार पैसेंजर्स की अपोरच्यूनिटी लॉस हुई है, जो वेरियस सेक्टर में रीजनल कनेक्टिविटी को प्रमोट करती। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र सहित सभी राज्यों को ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के फार्मूले पर काम करने को कहा है। इस मामले में केन्द्र सरकार लगातार अपडेट लेती रहती है, लेकिन एविएशन जैसा मंत्रालय जहां बड़े-बड़े इंवेस्टर्स का काम पड़ता है, वहां के हालात ऐसे हैं कि इंवेस्टर्स से रिश्वत लेने के फेर में काम अटकाया जा रहा है।

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