14 मुख्यमंत्री करेंगे गुजरात में चुनाव प्रचार,योगी बने भाजपा के तीसरे स्टार प्रचारक

अहमदाबाद, गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर गुजरात राज्य में सरगर्मी बड़ी तेजी के साथ बढ़ गई है। 2002 के बाद पहली बार 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के 14 मुख्यमंत्री मिलकर गुजरात में चुनाव प्रचार करेंगे। 2002 के विधानसभा चुनाव के बाद से गुजरात के चुनाव प्रचार का जिम्मा केवल नरेंद्र मोदी के पास होता था। गुजरात में भाजपा के लौह पुरुष लालकृष्ण आडवाणी ही उनके सारथी होते थे। गांधीनगर गुजरात से वह सांसद भी हैं । इसके अलावा गुजरात में 2012 तक कोई भी भाजपा का स्टार प्रचारक नहीं बुलाया जाता था। गुजरात के चुनाव प्रचार की पूरी कमान नरेंद्र भाई मोदी संभालते थे। गुजरात नरेंद्र मोदी था, नरेंद्र मोदी ही गुजरात थे।
2017 के विधानसभा चुनाव में अब स्थिति बदली-बदली सी दिख रही है। केंद्र के मंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को गुजरात में चुनाव प्रचार की बागडोर सौंपी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं गुजरात का दौरा कर रहे है। उनके सारथी वर्तमान में अमित शाह है, वह भी लगातार गुजरात में सक्रिय है। गुजरात के मतदाताओं को पहली बार इतने बड़े बड़े स्टार प्रचारको को देखकर है। हैरत हो रही है ऐसा क्या कारण है, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने ही प्रदेश में बाहरी लोगों का सहारा लेना पड़ रहा है। इसको लेकर मतदाताओं के बीच भी चर्चाएं होने लगी है।
हिंदू मतदाताओं को लुभाने का जिम्मा इस बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को दिया गया है। उत्तर प्रदेश से निकलकर वह पहले केरल गए, अब गुजरात आए। उन्हें हिंदू मतदाताओं को लुभाने के लिए अन्य राज्यों में भेजने, भारतीय जनता पार्टी की योजना है। कट्टर छवि के हिंदू नेता के रूप में योगी आदित्यनाथ को हिंदुत्व मॉडल के रूप में भाजपा स्थापित कर रही है। जिसके कारण विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदूवादी संगठन हैरान है| उनके होते हुए भाजपा के 22 साल पुराने गढ़ गुजरात को बचाने चुनाव पूर्व जो प्रयास हो रहे हैं क्या, वह भाजपा की कमजोरी को उजागर नहीं कर रहे हैं।
नोटबंदी, जीएसटी, पाटीदार आंदोलन, महंगाई, बेरोजगारी, दलित उत्पीड़न को लेकर हिंदू समाज इस चुनाव में बंटा हुआ नजर आ रहा है। जिससे भाजपा की चिंताएं बढ़ गई हैं। भारतीय जनता पार्टी ने इस स्थिति से निपटने के लिए अपनी सारी ताकत गुजरात में झोंक दी है। गुजरात की 25 विधानसभा सीटों में उत्तर भारत के लोग सबसे ज्यादा रहते है। उन सीटों पर योगी के जाने का फायदा भाजपा को होगा। अहमदाबाद, सूरत और दक्षिण गुजरात में योगी का दौरा और जनसभाएं रोड शो कराकर मतदाताओं को प्रभावित करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। योगी ने वलसाड, सूरत और अहमदाबाद में कई रोड शो करके अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
गुजरात के चुनाव प्रचार के लिए इस बार 14 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ, केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज और राजनाथ सिंह को भी मैदान में उतारा जाएगा। चुनाव की कमान अरुण जेटली के पास पहले से ही है। पीयूष गोयल को भी गुजरात में विधानसभा चुनाव तक सक्रिय रहने को कहा गया है। गुजरात राज्य में, 12 साल से कभी भाजपा के स्टार प्रचारक नहीं बुलाये गये| अब वहां पर स्टार प्रचारकों का भेजना, राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक स्तर पर यह संदेश दे रहा है कि, इस बार गुजरात का चुनाव काफी चुनौती भरा है।
कांग्रेस का पप्पू हुआ असरकारी
अखिल भारतीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार में कांग्रेस का शहजादा और पप्पू के नाम से जो हमला भाजपा की ओर से किया गया था। भारतीय जनता पार्टी के लगातार हमलों से राहुल गांधी भी अब काफी परिपक्व और मजबूत हो गए हैं । वह गुजरात विधानसभा चुनाव में चुनौती की मुद्रा में आ गए हैं । आर्थिक क्षेत्र में आए इस परिवर्तन के बाद राहुल गांधी का गुजरात दौरा काफी सफल दौरा माना जा रहा है। राहुल गांधी अब 3 साल पहले वाले पप्पू नहीं रहे। वह भाजपा को भाजपा की तरह जवाब देकर मतदाताओं को अपनी और आकर्षित करने में सफल होते दिख रहे है। इसके साथ ही पाटीदार समाज हार्दिक पटेल के नेतृत्व में एकजुट हो जाने और हार्दिक का झुकाव कांग्रेस की ओर होने से इस बार भाजपा नेताओं की चिंताएं बढ़ गई है। गुजरात राज्य मैं अपना कब्जा बनाए रखने के लिए भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। साम-दाम-दंड-भेद की सारी नीतियां अपनाकर इस बार गुजरात विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस अपनी पूरी शक्ति लगा रही है।
-अमित शाह बनाम अहमद पटेल
राज्यसभा चुनाव के समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रमुख सलाहकार, अहमद पटेल को राज्यसभा में रोकने के लिए भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य अमित शाह ने जो योजना बनाई थी। उसके अनुसार शंकर सिंह वाघेला का विद्रोह कराना, कांग्रेस में दो फाड़ कराना, गुजरात चुनाव के पूर्व कांग्रेस को पूरी तरह कमजोर करने के जो यतन किए गये थे। वह अहमद पटेल को राज्यसभा में जाने से नहीं रोक पाए। व्यक्तिगत स्तर पर हुई यह जंग अब अपनी चरम स्थिति पर पहुंच गई है। अहमद पटेल और अमित शाह दोनों ही गुजरात विधानसभा के चुनाव पर राजनीतिक कैरियर को दांव लगाकर चुनाव मैदान में है। गुजरात विधानसभा का चुनाव इस बार देश में एक बहुत बड़े राजनीतिक घटनाचक्र का इतिहास रचने जा रहा है। इसको लेकर सारे देश एवं दुनिया में गुजरात चुनाव की चर्चाएं होने लगी हैं। वहीं गुजरात का मतदाता भी भारतीय जनता पार्टी के नए नए स्टार प्रचारकों के चेहरों और भाजपा की हड़बड़ाहट को देखकर संशय में आ गया है। इसका फायदा निश्चित रूप से कांग्रेस के पप्पू को हो रहा है। जो धीरे-धीरे एक मजबूत नेता के रूप में गुजरात, और देश में उभर कर सामने आ रहे हैं । भाजपा के स्टार प्रचारक गुजरात जाकर केवल राहुल गांधी पर ही ध्यान केंद्रित करने की गलती कर रहे हैं । मोदी बनाम राहुल की लड़ाई में बड़ी तेजी के साथ भारतीय राजनीति में राहुल का कद बढ़ रहा है, जो भाजपा के लिए चिंता का कारण बन गया है।

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