रोहिंग्या केस में भावनाओं के आधार फैसला नहीं: सुप्रीम कोर्ट 

नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने के मामले में शुक्रवार को कहा कि रोहिंग्या मामला मानवता का बड़ा मुद्दा है। ये मानवीय समस्या है। कोर्ट इस मामले में भावनाओं के आधार पर फैसला नहीं लेगा। इस मामले में कानूनी सिद्धांतों पर चलेगा। राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक हित, लेबर हित और भौगोलिग पहलुओं पर विचार करना होगा। बच्चों, महिलाओं और अक्षम लोगों की सुरक्षा पर भी विचार करना है। राज्य की भूमिका चौतरफा होती है और ये मानवीय होनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति अपने कार्य से आतंकी है तो उस पर कार्रवाई हो, लेकिन बेकसूर परेशान ना हों। कोर्ट ने सरकार से कहा कि किसी आकस्मिक हालात का मौका ना दें। अगर सरकार रोहिंग्या को वापस भेजें तो याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं। २१ नवंबर को अगली सुनवाई होगी, हालांकि कोर्ट पहले चाहता था कि वह रोहिंग्या को वापस भेजने के फैसले पर २१ नवंबर तक रोक लगाए। केंद्र ने कहा कि ऐसा कोई आदेश ना दें, जिसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असर पड़े। रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई।  इससे पहले केंद्र सरकार ने रोहिंग्या घुसपैठियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक और हलफ़नामा दायर किया था। केंद्र सरकार ने कहा कि रोहिंग्या को वापस म्यांमार भेजने का फ़ैसला परिस्थितियों, कई तथ्यों को लेकर किया है जिसमें राजनयिक विचार, आंतरिक सुरक्षा, कानून व्यस्था, देश के प्रकृतिक संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ और जनसांख्यिकीय परिवर्तन आदि शामिल है। केंद्र सरकार ने कहा कि रोहिंग्या ने अनुछेद ३२ के तहत जो याचिका दाखिल है कि वो सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि अनुछेद ३२ देश के नागरिकों के लिए है न कि अवैध घुसपैठियों के लिए। केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा कि कुछ रोहिंग्या देश विरोधी और अवैध गतिविधियों में शामिल है जैसे हुंडी, हवाला चैनल के जरिये पैसों का लेनदेन, रोहिंग्यो के लिए फर्जी भारतीय पहचान संबंधी दस्तावेज़ हासिल करना और मानव तस्करी। रोहिंग्या अवैध नेटवर्क के जरिये अवैध तरीके से भारत में घुसाते है। बहुत सारे रोहिंग्या पेन कार्ड और वोटर कार्ड जैसे फर्जी भारतीय दस्तावेज हासिल कर चुके हैं। केंद्र सरकार ने ये भी पाया है आईएसआईएस और आईएसआईएस और अन्य चरमपंथी ग्रुप बहूत सारे रोहिंग्यो को भारत के संवेदनशील इलाकों में साम्प्रदायिक हिंसा फैलाने की योजना का हिस्सा है। भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकार विपरीत पर असर पड़ेगा और ये राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।

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