गरीबी से जूझ रहे भारतीय अंडर-17 टीम के फुटबॉलर

कोलकाता,भारत में पहली बार फीफा अंडर 17 विश्वकप फुटबॉल खेला जा रहा है। इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाली 21 सदस्यीय भारतीय टीम में अधिकांश खिलाड़ी गरीब घरों से हैं। कुल 10 खिलाड़ी उत्तर पूर्व के हैं। यह बेहद कठिन हालातों का सामना कर यहां तक पहुंचे हैं। इन सभी में अपने देश के लिए जीत हासिल करने का जुनून है। टीम के कप्तान अमरजीत सिंह कियाम मणिपुर के हैं। माता पिता खेती किसानी का काम करते हैं। अमरजीत के बड़े भाई उमाकांत फुटबॉल खेल रहे थे। यही प्रेरणा अमरजीत के लिए खेलने का काम करती है। माता पिता के पास इनके मैच देख्नने के लिए जाने के पैसे भी नहीं हैं।
वहीं ऐसे ही हालात एक अन्य खिलाड़ी जैकसन सिंह के भी हैं। परिवार का गुजारा सब्जी बेचकर हो रहा है लेकिन इतने कठिन हालात में भी जैकसन का फुटबॉल को लेकर जुनून कम नहीं हुआ और अब वह मिडफील्डर बनकर फीफा अंडर 17 विश्व कप में भारतीय टीम की ओर से खेल रहे हैं। जैकसन मणिपुर के थोउबल जिले के हाओखा ममांग गांव के हैं। उनके पिता को 2015 में पक्षाघात हुआ और उन्हें मणिपुर पुलिस की अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। अब उनके परिवार का खर्च मां बाजार में सब्जी बेचकर चलाती है जो घर से 25 किलोमीटर दूर है। जैकसन ने कहा ,‘‘ जब मैं 2010 में घर से चंडीगढ आया तब सब कुछ ठीक था। लेकिन मेरे पिता को 2015 में पक्षाघात आया और अब वह आजीविका कमाने की स्थिति में नहीं है।मेरी मां और नानी इम्फाल में सब्जी बेचती है और इसी से हमारा घर चलता है।’ उसने कहा ,‘‘ मैं बचपन से भारत के लिये खेलने का सपना देखता आया हूं और मेरी जिंदगी बदल गई है। मैं विश्व कप में भारत की जर्सी पहनने को बेताब था जो अब पूरा हुआ है हालांकि यह सभी अपने परिवार के हालातों को बदलना चाहते हैं।

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