खाद्यान्न घोटाले की जांच को लेकर पशोपेश में सरकार!

देहरादून,एक तो विकास कार्यों की धीमी रफ्तार को लेकर सूबे की भाजपा सरकार पहले ही आलोचनाओं का सामना कर रही थी, उपर से कुमाऊं मंडल में हुए करोड़ों के खाद्यान्न घोटाले की जांच को गठित एसआईटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में घोटाले की पुष्टि करके सरकार को और भी मुश्किल में डाल दिया है। सरकार की मुश्किल यह नहीं है कि घोटाले में मौजूदा सरकार नहीं बल्कि पिछली कांग्रेस सरकार शामिल थी बल्कि असल मुश्किल यह है कि घोटाले में लिप्त कुछ तत्कालीन मंत्री और विधायक मौजूदा सरकार में भाजपा का चोला पहनकर अभी भी सरकार में शामिल हैं। ऐसे मंत्रियों और विधायकों को निष्ठावान जमीनी कार्यकर्ताओं ने पार्टी में शामिल करने का घोर विरोध भी दर्ज कराया था लेकिन उनकी एक न चली। कांग्रेस मुक्त भारत के नाम पर बागियों और दागियों का भाजपा ने बाहें फैलाकर इस्तकबाल किया था। जो अब उसके लिए गले की हड्डी साबित हो रहा है। इससे निष्ठावान कार्यकताओं की भावनाएं जरूर आहत होती नजर आ रही हैं। जब कांग्रेसी जमकर ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाकर भाजपा के दामन में समा रहे थे और तथाकथित कांग्रेस मुक्त भारत बनाने में योगदान कर रहे थे, उस वक्त जरूर निष्ठावान कांग्रेसी भाजपाईयों की यह कहकर खिल्ली उड़ा रहे थे कि सभी भ्रष्टाचारी तो कांग्रेस से भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसलिए मीडिया को अब भ्रष्टाचार और घोटालों की खोज भाजपा के भीतर करनी चाहिए। यह बात खाद्यान्न घोटाले ने तो जरूर साबित कर दी है। यही वजह है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मांग की है कि इस खाद्यान्न घोटाले की जांच में पिछली से पिछली सरकार के कार्यकाल को भी शामिल किया जाए ताकि उन चेहरों से नकाब उतर सके जो घोटाले के असली किरदार थे। मुख्यमंत्री की असल समस्या यह है कि केंद्र डबल इंजन का झुनझुना थमाकर चुनाव तो बंपर वोटो से जीत गया लेकिन यह डबल इंजन अब तेजी से चुनावी जुमले की पटरी पर दौड़ने की तैयारी में प्रतीत होता है। कुछ मोटे और बड़े कार्यों को छोड़ दिया जाए तो आमजन से जुड़े ज्यादातर कार्यों के लिए संबंधित मंत्रियों को आए दिन मुख्यमंत्री से लेकर दिल्ली दरबार के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है। मंत्रियों के खास लोगों ने तो खुलेआम कहना भी शुरू कर दिया है कि पिछली सरकारों में तो लोगों की समस्याएं आसानी से हल हो जाती थी लेकिन अब पारदर्शिता के नाम पर कार्यों का भंवरजाल में यूं ही लटक जाना आम बात हो गई है। मांग यह भी उठने लगी है कि कुमाऊं मंडल के साथ ही राज्य की दूसरी कमिश्नरी गढ़वाल मंडल में के लिए अलग से एसआईटी गठित की जाए। वहीं, थिंक टैंक की दूसरी आर्मरी यह भी कह रही है कि घोटाला कुमाऊं मंडल में कांग्रेस के कार्यकाल में हुआ है। इसलिए भाजपा ग्लानि महसूस न करे। लेकिन उसका क्या जो कांग्रेसी अब भाजपा में शामिल हो गए हैं।

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