रायन मामला,पिंटो परिवार के खिलाफ प्रद्युम्न के पिता पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, प्रद्युम्न की हत्या के मामले में रायन स्कूल के मालिक पिंटो परिवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा दी गई अग्रिम जमानत को प्रद्युम्न के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है। पद्युम्न के?पिता वरुण ठाकुर के वकील सुशील टेकरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है जिस पर बुधवार को सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई सात अक्टूबर को होनी है। इससे पहले भोंडसी के रायन इंटरनेशनल स्कूल में सात वर्षीय प्रद्युम्न की हत्या के मामले में जिला प्रशासन ने निलंबित कार्यवाहक प्राचार्य नीरजा बत्रा को क्लीन चिट दे दी है। स्कूल प्रशासक के रूप में उपायुक्त ने नीरजा बत्रा को बहाल कर दिया है। नीरजा अब सेक्टर-40 स्थित रायन इंटरनेशनल स्कूल में बतौर शिक्षिका सेवाएं देंगी। इस बहाली प्रक्रिया के बाद प्रद्युम्न के पिता वरुण ठाकुर और वकील ने सवाल उठाते हुए बहाली को गलत बताया है। वरुण के वकील अब इस मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
गौरतलब है कि ८ सितंबर को कक्षा दो के विद्यार्थी प्रद्युम्न ठाकुर की स्कूल के शौचालय में गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में जिला प्रशासन द्वारा गठित तीन सदस्यीय टीम ने शुरुआती जांच में कार्यवाहक प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी। इसके बाद प्रशासन के आदेश पर स्कूल प्रबंधन ने उन्हें निलंबित कर दिया था। स्कूल प्रबंधन को दोषी मानते हुए स्कूल को तीन माह के लिए सरकार ने स्कूल के प्रबंधन को अपने अधीन ले लिया। बतौर प्रशासक होते हुए उपायुक्त विनय प्रताप द्वारा कार्यवाहक प्रिंसिपल को बहाल कर दिया गया है। तो निलंबित क्यों किया गया था?
– क्या है मामला
फैसले पर सवाल उठाते हुए प्रद्युम्न के पीड़ित पिता वरुण ठाकुर ने कहा कि अब जांच सीबीआई के हवाले हैं। जब जांच किसी और एजेंसी द्वारा की जा रहा है तो नीरजा बत्रा को क्लीन चिट कैसे दी जा सकती है। जांच चलने के वक्त अगर नीरजा को क्लीन चिट देनी ही थी, तो उस समय निलंबित क्यों किया गया था? क्या केवल आई-वॉश के लिए प्रशासन ने यह कदम उठाया था। उन्होंने कहा कि उपायुक्त के इस कदम से साफ है कि इस मामले में प्रशासन का रुख सही नहीं है। ऐसे में जिला प्रशासन से कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वह इस जांच में सीबीआई का सहयोग करेगा।
वरुण के वकील सुशील टेकरीवाल भी उपायुक्त के इस फैसले से नाराज दिखे। उन्होंने कानूनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उपायुक्त को कोई अधिकार ही नहीं है कि वो इस मामले में क्लीन चिट दें या नहीं। वकील ने कहा कि वो इस मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। वहीं इस मामले में उपायुक्त विनय प्रताप का कहना है कि शुरुआती जांच में पाया गया है कि नीरजा के पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं था। ऐसे में सीधे तौर पर वह जिम्मेदार नहीं हैं। उन्होंने स्कूल की खामियों को लेकर रायन मैनेजमेंट के आला अधिकारियों को अवगत कराया था। अभी तक की जांच में उनकी लापरवाही सामने नहीं आई है।

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