अब मनमाना तलाक स्वीकार नहीं,तीन तलाक पर जलसे में महिलाओं को सुनाया फैसला

भोपाल, तीन तलाक को प्रतिबंधित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भोपाल में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक हुई। बैठक के दूसरे दिन सोमवार को महिलाओं का जलसा इकबाल मैदान पर हुआ। जलसे में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य असमा जेहरा ने महिलाओं को उनके हक के बारे में जानकारी दी। जलसे में शरीअत में महिलाओं का दर्जा बताया गया। उन्होंने कहा कि 5 मरहले पूरे नहीं होने पर तलाक नहीं दिया जा सकता। असमां जोहरा ने कहा तलाक के मामले मुस्लिम समाज में सबसे कम हैं। अगर किसी को गलत तरीके से तलाक दिया गया है तो वह कोर्ट का दरवाजा का दरवाजा खटखटा सकती हैं। मुस्लिम महिलाओं को बताया गया कि देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरुक किया जा रहा है। बोर्ड सदस्य डॉ. असमा जोहरा ने बताया कि मुस्लिम महिला हेल्पलाइन टोल फ्री नंबर 18001028426 जारी किया है। सात भाषाओं में कोई भी महिला और युवती शरीयत की जानकारी ले सकती है। महिलाओं ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। फैसले के सारे पहलुओं पर विचार-विमर्श चल रहा है। वहीं, शहर काजी मौलाना सैयद मुश्ताक अली नदवी ने बताया कि शरीयत मामले में कोई समझौता नहीं होगा। मुस्लिम महिलाएं शरीयत पर कायम रहेंगी। निकाह इस्लामी तरीके से होना चाहिए।
गौरतलब है कि रविवार को तीन तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आने के बाद पहली बार मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की पहली बैठक भोपाल में हुई थी। इसमें देशभर से आए सदस्यों ने हिस्सा लिया। बैठक में बोर्ड के 51 पदाधिकारियों में से 44 ने हिस्सा लिया। इनमें सांसद असदउद्दीन ओवैसी, पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मौलाना वली रहमानी, मौलाना मोहम्मद उमरेन, महफूल उल रहमान, शहरकाजी सैयद मुश्ताक अली नदवी आदि शामिल रहे।
इसके बाद दूसरे दिन रविवार को खानूगांव स्थित इंदिरा प्रियदर्शनी कॉलेज में रविवार को दिनभर बैठक चली। इसमें महिलाओं ने अपने विचार खुलकर रखे। महिलाओं ने कहा कि तीन तलाक का गलत उपयोग किया जा रहा है, यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि शरीअत में तीन तलाक वाजिब है, लेकिन उसके तरीका है। जिसे अपनाए बगैर तीन तलाक दिया जाना गलत है। समाज में फैली इस प्रवृत्ति को किसी कानून से नहीं रोका जा सकता। इसके लिए लोगों को समझाइश के माध्यम से जागरूक करना होगा। बोर्ड का जोर भी इसी मसले पर है। लोगों को समाइश देने के लि देशभर में अभियान चलाया जाएगा।
इन्होंने दिया संबोधन
जलसे को बोर्ड अध्यक्ष राबे हसन मदनी, महासचिव वली रहमानी, असमा जौहरा, शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी व आरिफ मसूद ने संबोधित किया।
बनाई गए कमेटी
बोर्ड पदाधिकारी ये तय नहीं कर पाए कि फैसले का पालन करें या नहीं। इसलिए मामले पर एक राय होने के लिए 10 सदस्यों की एक कमेटी गठित की गई है। कमेटी तीन तलाक पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सही व्याख्या कर अपनी रिपोर्ट देगी।

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