नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निजी स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता। भले ही राज्य न्याय को जिस रूप में महसूस करे। देश की शीर्ष अदालत ने असम लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष राकेश कुमार पॉल को भ्रष्टाचार के एक मामले में बुधवार को जमानत देते हुए यह बात कही। जस्टिस मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने एक के मुकाबले दो मतों से अपना आदेश सुनाया। पीठ ने कहा कि पॉल डिफाल्ट जमानत के हकदार हैं। सुनवाई करने वाली अदालत उन्हें कुछ जायज शर्तो पर जमानत दे सकती है। जस्टिस लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता के समर्थन वाले आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा कि निजी स्वतंत्रता के मामले में हमें एकदम से और कदापि अत्यंत तकनीकी नहीं होना चाहिए। निजी स्वतंत्रता के प्रति हमें नरम रहना चाहिए। दूसरों के साथ अन्याय नहीं हो, इसलिए न्याय का ध्यान रखा जाना चाहिए। इसलिए हम सरकारी वकील से सहमत होने में असमर्थ हैं।