भोपाल, नगर निगम के अफसरों ने बीते पांच साल में ही 30 करोड़ रुपए का डीजल चोरी कर डाला। डीजल की खपत दिखाने के लिए डीजल टैंक प्रभारी ने एक टैंकर का रोजाना 400 से 500 किमी की दूरी तय करना बता दिया। जबकि हकीकत में यदि टैंकर 24 घंटे भी शहर के भीतर चले तो इतनी दूरी तय करना संभव नहीं है। अफसरों ने रजिस्टर में छेड़छाड़ कर रोजाना एक टैंकर की तीन ट्रिप की बजाय 8 ट्रिप दर्शा दी। यह चौंकाने वाला तथ्य निगम कमिश्नर छवि भारद्वाज द्वारा लिंक रोड तीन पर स्थित डीजल टैंक की जांच में सामने आया। घोटाला सामने आते ही कमिश्नर ने कार्रवाई करते हुए डीजल टैंक प्रभारी मधुसूदन तिवारी और टाइम कीपर राजकुमार पटेल को तत्काल सस्पेंड कर दिया। इसके अलावा अन्य पांच 25 दिवसीय कर्मचारियों को हटाने और सात ड्राइवरों का ड्यूटी चेंज करने के आदेश दिए। इंडेंट बुक की जांच में यह तथ्य सामने आया कि एक टैंकर से औसतन महीने में तीन से चार हजार लीटर डीजल की खपत हो रही थी और रोजाना टैंकर के आठ फेरे दर्ज किए जा रहे थे। कमिश्नर ने जलकार्य शाखा के नगर यंत्री एआर पवार को भी मौके पर बुलाया। उन्होंने बताया कि एक टैंकर सिर्फ तीन फेर लेता है। इसके बाद पूरा घोटाला परत दर परत खुलता गया।
कमिश्नर भारद्वाज ने नगरयंत्री पवार से पूछा क्यों पवार साहब डीजल चोरी होती थी या नहीं, इस पर वे जवाब नहीं दे पाए। फिर उन्होंने प्रभारी तिवारी से यही सवाल किया वे भी कुछ नहीं बोले। ड्राइवरों से कहा कि तुम्हारी कितनी तनख्वाह है जवाब मिला पांच हजार। कमिश्नर ने पूछा तो फिर इतने पैसे में हेल्परों को भुगतान कैसे करते थे। किसके लिए डीजल चोरी करते हो। पर किसी ने भी जवाब नहीं दिया। कमिश्नर फटकार लगाती रहीं और स्टॉफ सुनता रहा। वे यहां साढ़े तीन घंटे रूकीं। निगम के पास 70 वाटर टैंकर चल रहे है। एक टैंकर में औसतन 40 लीटर डीजल चोरी होती है। इस हिसाब से एक दिन में 70 टैंकरों के जरिए 2800 लीटर की चोरी होती है जो कि वर्तमान मूल्य के हिसाब से 1 लाख 68 हजार हजार रुपए है। साल भर में 6 करोड़ रुपए पहुंच जाता है। प्रभारी पिछले पांच सालों से तैनात हैं इस हिसाब से यह आंकड़ा 30 करोड़ रुपए का डीजल घोटाले का अनुमान है। कमिश्नर ने डीजल टैंक पर ही संबंधित वाटर टैंकरों के ड्राइवरों को बुलवाया। पूछताछ में पता चला कि ड्राइवरों की कमाई इतनी थी कि वे खुद के हेल्पर रखे हुए थे। उन्होंने करीब सात ड्राइवरों को तत्काल प्रभाव से वाटर टैंकरों से हटाने के निर्देश दिए।बताया जाता है कि मधुसूदन तिवारी वार्ड 71 के पार्षद प्रकांत तिवारी के भाई हैं। वे पिछले पांच-छह सालों से डीजल टैंक में बतौर प्रभारी थे। केंद्रीय कर्मशाला और डीजल टैंक में पूर्व में हुई कार्रवाई के बाद से तिवारी निशाने पर थे। दरअसल, वाटर टैंकर में डीजल डालने के लिए तिवारी के पास ही इंडेंट बुक थी, जो भी डीजल चोरी होता था उसमें प्रभारी तक मिले होते थे। कमिश्नर ने प्रभारी को जिम्मेदार मानते हुए सस्पेंड कर दिया।