नई दिल्ली,संसद की एक समिति ने सुझाव दिया है कि भारतीय थलसेना की तर्ज पर सिविल सेवा अधिकारियों को भी उनके प्रदर्शन की मूल्यांकन रिपोर्ट आंशिक तौर पर दिखाई जाए। समिति ने कहा है कि केंद्र सरकार में शीर्ष स्तर पर नौकरशाहों की नियुक्ति के लिए हाल ही में शुरू की गई ‘‘360 डिग्री मूल्यांकन प्रणाली’’ को ज्यादा पारदर्शी और नियम आधारित बनाने की जरूरत है। संसदीय समिति ने विभिन्न हितधारकों की ओर से जाहिर की गई इन चिंताओं पर गौर किया कि केंद्रीय कार्मिक योजना (सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम) के तहत सूचीबद्ध किए जाने से सभी प्रतिभागी सेवाओं, खासकर गैर-आईएएस अधिकारियों, को समान स्तर नहीं मिल पा रहा है। कार्मिक, जन शिकायत, विधि एवं न्याय विभाग पर संसदीय स्थायी समिति ने कल संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत सरकार के संयुक्त सचिव एवं इससे ऊपर के पदों को सूचीबद्ध किए जाने और उनकी नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल सभी संस्थाओं या निकायों में सिर्फ एक सेवा “आईएएस” के अधिकारियों का वर्चस्व होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘इसे गैर-अधिकारियों द्वारा ऐसा समझा जाता है कि सूचीबद्ध किए जाने या पदस्थापना की प्रक्रिया में संतुलन आईएएस के पक्ष में झुक गया है।’’ समिति ने कहा कि इस प्रक्रिया में अन्य सेवाओं के अधिकारियों को शामिल करके इसे व्यापक बनाए जाने की जरूरत है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मूल्यांकन प्रक्रिया को ज्यादा विचार-विमर्शपरक और पारदर्शी बनाया जाए। समिति ने कहा कि मूल्यांकन प्रणाली में एक तंत्र विकसित कर इसमें थोड़ी और प्रामाणिकता लाई जा सकती है कि जिस अधिकारी का मूल्यांकन किया गया, उसे पूरी रिपोर्ट नहीं दिखाकर ‘‘आंशिक तौर पर बताया जाए।’’