बिना पैथालॉजिस्ट के चल रही पैथालॉजी

मण्डला,जिला अस्पताल की पैथालॉजी लैब बिना पैथालॉजिस्ट डॉक्टरों के संचालित की जा रही है, यहां लैब टेक्निशियन के भरोसे पैथालॉजी चल रही है। इससे इलाज कराने दूर-दराज क्षेत्रों से आ रहे मरीजों को बाहर से जांच करानी पड़ रही है। यहां पिछले 7 माह से 3 पैथालॉजिस्ट डॉक्टरों के पद खाली पड़े हुए हैं। सेवानिवृत्ति के बाद नई पदस्थापना के लिए कोई पहल अब तक नहीं की गई है। जिला अस्पताल में प्रतिदिन सैकड़ों मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं। इन मरीजों को डॉक्टर्स कई प्रकार की जांच लिखते हैं। कुछ जांचें ऐसी होती है जो सिर्फ पैथालॉजिस्ट के मार्गदर्शन में ही होती है। पैथालॉजिस्ट न होने से जांच नहीं हो पा रही है और मरीजों को अस्पताल के बाहर से कराना पड़ रहा है। इससे मरीजों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। 7 माह से पैथालॉजिस्ट का पद खाली है। यहां 3 पद स्वीकृत है पर एक भी पद नहीं भरे हैं। हालांकि एक ही पैथालॉजिस्ट के भरोसे कई सालों से जिला अस्तपाल में काम चलाया जा रहा है। जिला अस्पताल की लैब इस समय मात्र लैब टेक्निशियन के भरोसे चल रही है। यहां भी मात्र 4 लैब टैक्निशियन के कंधों पर सैकड़ों जांचें है, जो किसी तरह कर पा रहे हैं। औसतन 100 मरीज प्रतिदिन लैब जांच के लिए पहुंचते हैं। एक मरीज की कम से कम 4 से 5 प्रकार की जांच होती है। कुछ ही घंटों में जांच देनी पड़ती है। लैब टैक्निशियन जांच के बाद रिपोर्ट बनाने के पहले ास चेक भी करवाते थे, जो अब नहीं हो पा रहा है। पैथालॉजी लैब में कल्चर की 6 प्रकार की जांच नहीं हो पा रही है। कल्चर की जांच से वैक्टीरिया इंफेक्शन जांचा जाता है। किस तरह के वेक्टीरिया ने मरीज को बीमार बनाया है। उस हिसाब से ही मरीज का इलाज और दवा दिया जाता है। पर ये जांचे न होने से मरीज का इलाज अंदाज से हो रहा है। महिलाओं की पेप स्मीयर जांच होती है। यह जांच भी पैथालाजिस्ट के द्वारा की जाती है। जो कि नहीं हो पा रही है।

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