जबलपुर, मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति हेमंत गुप्ता एवं न्यायामूर्ति विजय शुक्ल द्वारा केन्द्रीय प्रशासनिक अभिकरण (केट) के मसले पर जिसमें देश की अनेक बेंचों में न्यायाधीशों की नियुक्तियां न होने को चुनौती दी गयी है की सुनवाई करते हुये केन्द्र सरकार को तीन सप्ताह के अंदर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये गये है।
ज्ञातव्य है कि हाईकोर्ट द्वारा इस प्रकरण में अधिवक्ता राधे लाल गुप्ता द्वारा तत्कालीन मुख्य न्यायाधिपति को लिखे गये पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया गया था एवं केन्द्र सरकार से जबाव मांगा गया था।
अधिवक्ता श्री गुप्ता द्वारा पत्र में बताया गया था कि मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के संयुक्त केन्द्रीय प्रशासनिक अभिकरण (केट) में विगत अप्रैल २०१४ से से स्थायी न्यायिक सदस्य की नियुक्ति न होने से जबलपुर में स्थित केट जो कि छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के पक्षकारों के मामलों की सुनवाई करता है, वर्तमान में विगत ढाई वर्षों से न्यायदान की दिशा में कोई कार्य नहीं हो रहा है, और आये दिन केट बंद होने की स्थिति में रहती है। कभी कभार कोई एकाध हफ्ते को किसी सदस्य को भेज दिया जाता है। जिससे न्यायदान की प्रक्रिया प्रभावशील नहीं हो पा रही है।
अधिवक्ता श्री गुप्ता द्वारा पूरे देश के प्रशानिक अभिकरणों की सूची पेश करते हुए यह बताया गया है, विâ सिर्फ जबलपुर में ही न्यायिक सदस्य, एवं प्रशानिक सदस्य का पद अप्रैल २०१४ से रिक्त पडा हुआ है। अधिवक्ता श्री गुप्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट के लीडिंग जजमेन्टस एल. चंद्रकुमार का उदाहरण पेश करते हुये न्यायाधीशों की नियुक्ति करने की मांग पर जोर दिया गया है। जिसमें स्पष्ट कहा गया है, कि हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार के मामलों की सुनवाई केट द्वारा की जायेगी और पक्षकार हाईकोर्ट न जाकर केट में ही प्रकरण दायर करेंगे जिनका निराकरण शीघ्रता से किया जा सकेगा।
आज उच्च न्यायालय द्वारा पुन: केन्द्र सरकार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता जे.के. जैन को तीन सप्ताह के अंदर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये गये है। याचिका में अधिवक्ता सिद्धार्थ राधे लाल गुप्ता एवं अमित गर्ग पैरवी कर रहे थे।