आज भी किसी मसले पर एकराय हुआ जा सकता है -मोदी

नई दिल्ली,भारत छोडो आंदोलन के 75 साल पूरा होने पर बुधवार को संसद में विशेष सत्र आयोजित किया गया। जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी ने वक्तव्य देते हुए कहा की हमें 2070-75 के हिसाब से तैयारी करना चाहिए और जिस प्रकार आजादी के आंदोलन के वक्त विभिन्न विचारधाराओं के रहते हुए भी देश की आजादी को लेकर सभी के बीच सहमति उसी तरह अब भी तमाम मतभेदों के रहते देश की प्रगति से जुड़े मामलों पर एक सहमति बनाई जा सकती है। उन्होंने कहा की किस प्रकार 1942 में महात्मा गाँधी ने करो या मरो का नारा दिया और उसके नीचे लोग एकजुट हुए वैसा आज भी किया जा सकता है। मोदी ने देश के लिए बलिदान देने वाले सपूतों को भी सलामी दी। और कहा की यह हमारे लिए गर्व का दिन है क्योकि इसके साथ ही तमाम लोग एकजुट हुए थे। मोदी ने कहा की देश में कानून तोडना लोगों की आदत बन गया है लाल लाइट के सिग्नल का उदहारण देते हुए उन्होंने गाड़ी चालकों द्वारा इसके उल्लंघन की बात कही। पीएम ने अस्पतालों में मरीजों के परिजनों द्वारा बात-बात में डॉक्टरों पर उखाड़ने वाली प्रवति का भी जिक्र करते हुए इनसे बचने की गुजारिश की।लोकसभा में एक ऐतिहासिक नजारा देखा गया। मौका था भारत छोड़ो आंदोलन के ७५ साल पूरे होने का। इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आजादी के वीर सिपाहियों को याद किया और उनके संघर्ष से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। लेकिन ये मौका मोदी और सोनिया के बीच की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से नहीं बच सका। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की विचारधारा पर जमकर निशाना साधा। ये पहला मौका था जब संसद में मोदी और सोनिया इस तरह आमने-सामने थे और दोनों ने इसे भुनाने की कोई कसर नहीं छोड़ी।
भारत छोड़ो आंदोलन के ७५ साल पूरे होने के मौके पर संसद में दोनों बड़े नेताओं के बीच एजेंडों की लड़ाई साफ दिखी। जब पीएम मोदी बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने कहा कि ये मौका महापुरुषों के बलिदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का है। नए भारत के लिए ये जरूरी है। इसके बाद पीएम मोदी ने जीएसटी को जहां अपनी सरकार की उपलब्धि बताया, वहीं विपक्ष को घेरने के लिए भ्रष्टाचार का मुद्दा उछाला। इसके बाद जब सोनिया गांधी बोलने के लिए उठीं तो उन्होंने बोलने की आजादी का मुद्दा उठाकर असहिष्णुता के मुद्दे को फिर उछाला। सोनिया गांधी ने कहा- भारत छोड़ो आंदोलन के ७५ साल पूरे होने पर लोगों के मन में आशंका है कि क्या देश में बोलने की आज़ादी को रोका जा रहा है। नफरत और विभाजन की राजनीति हावी ही रही है। कई बार कानून के राज पर भी गैर कानूनी शक्तियां हावी हो रही हैं। हमें हर तरह की दमनकारी शक्ति से लड़ना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *