अहमदाबाद,राज्यसभा के चुनाव में शंकरसिंह वाघेला गुट के बागी कांग्रेस विधायकों का भाजपा ने सफाया कर दिया ऐसी राजनीतिक अटकलें तेज हो गई है। क्रोस वोटिंग के बावजूद भाजपा के तीसरे उम्मीदवार बलवंतसिंह राजपूत चुनाव हार गए।
राज्य में राज्यसभा चुनाव में शंकरसिंह वाघेला समेत कांग्रेस के 8 बागी विधायकों ने क्रोस वोटिंग किया था। इन्हीं के दम पर भाजपा अपने तीनों उम्मीदवारों के जीत के दावे कर रही थी। हालांकि क्रोस वोटिंग भी भाजपा के तीसरे उम्मीदवार बलवंतसिंह राजपूत को जीता नहीं पाया। वहीं दूसरी ओर क्रोस वोटिंग करनेवाले विधायकों की हालत न घर के रहे न घाट के जैसी होने की संभावना जताई जा रही है। कांग्रेस पार्टी द्वारा सभी विधायकों को अहमद पटेल को वोट देने का व्हीप जारी किया था। व्हीप का उल्लंघन करनेवाले विधायकों को पार्टी से सस्पेन्ड करने के लिए कांग्रेस चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज करेगी। कांग्रेस इन सभी विधायकों को दलबदल कानून के तहत अयोग्य घोषित करने के लिए अर्जी करेगी। दलबदल कानून के तहत कोई भी विधायक पार्टी के व्हीप का उल्लंघन कर पार्टी के आदेश के विरुद्ध मतदान करने पर छह वर्ष तक विधायक चुनाव नहीं लड़ सकता। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस कानून के तहत विधायकों को अयोग्य घोषित करने के फैसले दिए है। बेंग्लुरु गए कांग्रेस विधायकों में से साणंद के विधायक करमशी मकवाणा ने क्रोस वोटिंग किया था। इसके अलावा शंकरसिंह वाघेला, महेन्द्रसिंह वाघेला, राघवजी पटेल, धर्मेन्द्रसिंह जाडेजा, अमित चौधरी, सी.के.राउलजी, भोलाभाई गोहिल और करमशी मकवाणा समेत आठ विधायकों ने क्रोस वोटिंग कर भाजपा के बलवंतसिंह राजपूत को वोट दिया था। शंकरसिंह वाघेला गुट के इन 7 विधायक और करमशी मकवाणा अब विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है। हालांकि राजनीतिक पंडितों का यह कहना है कि भाजपा ने ही कांग्रेस के इन बागी विधायकों का सफाया कर दिया। भाजपा को दलबदल कानून के तहत इन विधायक अयोग्य होने के नियम की जानकारी होने के बावजूद भाजपा ने उन्हें क्रोस वोटिंग के लिए प्रोत्साहित किया। भाजपा ने भी इन आठों विधायकों को फिर से टिकट नहीं देना पड़े और अपनी ही पार्टी में असंतोष का सामना करना नहीं पडे इसलिए सभी विधायकों को क्रोस वोटिंग के लिए कहा गया। साथ ही साथ भाजपा ने शंकरसिंह वाघेला का भी सफाया कर दिया। भाजपा ने एक साथ वाघेला गुट के सभी विधायकों को फ्री कर दिया साथ ही वाघेला के पुत्र महेन्द्रसिंह वाघेला को भी चुनाव नहीं लड़ पाने की स्थिति पर ला कर खड़ा कर दिया। इस तरह भाजपा ने बापू को पता भी नहीं चले इस तरह समग्र गुट का सफाया कर दिया।