क्रोस वोटिंग करनेवाले विधायकों का राजनीतिक भविष्य स्पीकर तय करेंगे

अहमदाबाद, राज्यसभा चुनाव में पार्टी व्हीप का उल्लंघन करनेवाले विधायकों का राजनीतिक भविष्य स्पीकर के हाथ में हैं. यदि पार्टी स्पीकर के फैसले से सहमत नहीं है, तब मामला अदालत पहुंचेगा और जब तक इसका फैसला आएगा तब तक विधायक कई चुनाव लड़ चुका होगा.
गुजरात में आज राज्यसभा की 3 सीटों पर चुनाव हुआ, जिसमें क्रोस वोटिंग की आशंका को देखते हुए कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को अहमद पटेल के पक्ष में मतदान करने का व्हीप काफी पहले ही जारी कर दिया जिसमें नोटा का उपयोग भी नहीं करने का आदेश दिया था. दलबदल कानून के तहत यदि कोई विधायक व्हीप का उल्लंघन और पार्टी के साथ विश्वासघात करता है तो उसे अगले 6 वर्ष के पार्टी से सस्पैंड कर दिया जाता है. साथ ही इस छह साल की अवधि के दौरान उसे चुनाव लड़ने से भी दूर रखा जा सकता है. हालांकि क्रोस वोटिंग के मामले में विधायक या सांसदों को सजा देने के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है. क्योंकि प्रत्येक राजनीतिक दल इस कानून का उपयोग अपनी स्थिति और नीतिके मुताबिक करते हैं और उसी के आधार पर फैसला करते हैं. हालांकि वर्ष 2015 में पटना हाईकोर्ट ने अपने फैसले में क्रोस वोटिंग को पार्टी से बगावत नहीं बल्कि अंतरात्मा की आवाज बताया था और उसके कारण एन्टी डिफेक्शन लो के तहत उसे सजा नहीं देने का अभिप्राय व्यक्त कियाथा. जबकि दूसरी कांग्रेस ने रवि नायक केस में पार्टी के फैसले का उल्लंघन करने पर छह साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था. अब सवाल उठता है कि आखिर कौन एन्टी डिफेक्शन कानून के तहत विधायक को पार्टी द्रोही करार दे सकते है. कानून के जानकारों के मुताबिक यह अधिकार विधानसभा के स्पीकर के पास है. गुजरात के मामले में भी जो विधायक अपनी पार्टी के आदेश का उल्लंघन करते हैं तो उसका राजनीतिक भविष्य विधानसभा अध्यक्ष तय कर सकते हैं. कानून के जानकारों के मुताबिक यदि राजनीतिक दल स्पीकर के फैसले से सहमत नहीं है तो पूरा मामला अदालत पहुंचेगा और जब इसका फैसला आएगा तब तक विधायक कई चुनाव लड़ चुका होगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *