UP में 3500 पुलिसवालों की भर्ती से रोक हटी

लखनऊ, आने वाले दिनों में यूपी की सुरक्षा बहुत अधिक चाक-चौंबद होने वाली है। क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पुलिस में छह साल से स्थगित 3,500 से अधिक उपनिरीक्षकों और प्लाटून कमांडरों के चयन एवं नियुक्तियों को हरी झंडी दिखा दी है। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय की इलाहाबाद और लखनऊ स्थित दोनों पीठों द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों पर रोक लगा दी और उन्हें 2011 में बसपा सरकार के समय शुरू हुई पुलिस अधिकारियों की चयन एवं नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में किसी भी याचिका पर विचार करने से रोक दिया। योगी सरकार से पूर्ववर्ती सपा सरकार ने भी इस प्रक्रिया को आगे ले जाने के प्रयास किए थे, लेकिन कई मुकदमों के चलते सफलता नहीं मिली। वर्तमान भाजपा सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि पुलिसकर्मियों की अत्यंत आवश्यकता है क्योंकि छह साल से उपनिरीक्षकों के पदों के लिए कोई नियुक्ति नहीं हुई है। इस कारण प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमार गई है।
न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने कई अपीलों पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर प्रशिक्षण प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया जो 3,533 उम्मीदवारों में से आखिरी उम्मीदवार का प्रशिक्षण पूरा न होने तक जारी रहेगी। पीठ ने कहा उपरोक्त परिस्थितियों में हमारा मत है कि यह उचित होगा यदि राज्य को पहले ही प्रशिक्षण शुरू कर चुके उम्मीदवारों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने की अनुमति और निर्देश दिया जाए।

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