वेंकैया नायडू देश के नए उपराष्ट्रपति चुने गए

नई दिल्ली,वैंकया नायडू देश के 15 वे उपराष्ट्रपति होंगे उन्हें 516 और गोपालकृष्ण गाँधी को 244 वोट मिले। शाम सात बजे के बाद उन्हें रिटर्निंग अधिकारी ने निर्वाचित घोषित किया। एनडीए की तरफ से उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार वेंकैया नायडू देश के लोगों के लिए एक जाना-पहचाना नाम हैं।

इस तरह ऐसा पहली बार हुआ है कि बीजेपी के नेता देश के 3 बड़े संवैधानिक पदों- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर काबिज हो गए हैं। इससे पहले राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद ने विपक्ष के उम्मीदवार मीरा कुमार को हराया था। मौजूदा उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी लगातार 2 बार इस पद पर रहें और उनका मौजूदा कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है।
उपराष्ट्रपति के लिए शनिवार सुबह से शाम तक वोटिंग हुई थी। मुकाबला एनडीए कैंडिडेट एम. वेंकैया नायडू और यूपीए के गोपालकृष्ण गांधी के बीच था। नायडू की जीत पहले से ही तय थी। मतगणना शाम 6 बजे से शुरू हो गई है। इस चुनाव में पहला वोट नरेंद्र मोदी ने डाला। दोनों सदनों के कुल 785 सांसदों में से 771 ने वोट डाला। इस दौरान 98.20 प्रतिशत वोटिंग हुई। जीत के लिए 50प्रतिशत से एक ज्यादा वोट जरूरी होता है। एनडीए के पास लोकसभा में 338 और बीजेपी के राज्यसभा में 58 सदस्य थे। वर्तमान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल 10 अगस्त को खत्म हो रहा है।
14 सांसद नहीं कर पाये वोट
14 सांसदों ने वोट नहीं डाला। इनमें बीजेपी से 2, कांग्रेस से 2, आईयूएमएल से 2, टीएमसी से 4, एनसीपी से 1, पीएमके से 1 और 2 निर्दलीय सांसद शामिल हैं।
इन सांसदों ने वोट नहीं डाला
विजय गोयल (बीजेपी), सांवरलाल जाट (बीजेपी), मौसम नूर (कांग्रेस), रानी नारा (कांग्रेस), उदयनराजे भोसले (एनसीपी), अंबुमणि रामाडॉस (पीएमके) से हैं। कुणाल कुमार घोष, तापस पॉल, प्रोतिमा मंडल और अभिषेक बनर्जी टीएमसी से हैं। पीके कुल्हालीकुट्टी और अब्दुल वहाब आईयूएमएल के सांसद हैं। अनु आगा और एन के सारनिया निर्दलीय सांसद हैं। भाजपा सांसद विजय गोयल और सांवर लाल जाट की तबियत ठीक नहीं है। दोनों सांसद हॉस्पिटल में भर्ती हैं।
मैं किसी पार्टी का नहीं हूं : नायडू
वोटिंग के पहले वैंकेया ने कहा, मैं किसी पार्टी का नहीं हूं। ज्यादातर पार्टियां मेरी उम्मीदवारी का समर्थन कर रही हैं। उम्मीद करता हूं कि वे सभी मेरे लिए वोट करेंगे। मैं किसी नेता या पार्टी के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ रहा हूं। मैं भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहा हूं। मैं संसद के सभी सदस्यों को जानता हूं, वे मुझे जानते हैं। इसलिए मैंने कैम्पेन नहीं किया। मैंने सभी को विनम्रता से लेटर लिखा, रिस्पॉन्स काफी अच्छा रहा। भरोसा है कि सभी मुझे सपोर्ट करेंगे।

६८ साल के वेंकैया नायडू ने अपने चार दशक लंबे राजनीतिक करियर में बीजेपी संगठन से लेकर सरकार तक, कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं। करीब चालीस सालों से राजनीति में सक्रिय बीजेपी के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का फैसला कल बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में हुआ। वेंकैया नायडू का जन्म एक जुलाई १९४९ को आंध्रप्रदेश के नेल्लौर में हुआ था। १९७३-७४ में वो आंध्र विश्वविद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। इमरजेंसी के दौरान वो जय प्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़े और जेल गये। साल १९७८ और १९८३ में आंध्र प्रदेश के नेल्लौर से विधायक चुने जाने के बाद वो पहली बार १९९८ में राज्यसभा सांसद बने। फिलहाल वो राजस्थान से राज्यसभा सांसद हैं। १९८८ से १९९३ तक वो बीजेपी की आंध्र प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भी रहे।
७० के दशक में वेंकैया अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और आरएसएस से जुड़े रहे थे, ज़ाहिर है सरकार और संघ में उनकी मज़बूत पैठ ने ही उपराष्ट्रपति पद के लिए मज़बूत दावेदारी पेश की। वैंकया अपनी हाज़िर जवाबी और तुकबंदी के लिए मशहूर है। आज से करीब डेढ़ महीने पहले जब वेंकैया नायडू का नाम राष्ट्रपति पद के लिए सुर्खियों में था उस वक्त वेंकैया नायडू ने कहा ‘न मैं राष्ट्रपति बनना चाहता हूं और न उपराष्ट्रपति। मैं उषा पति बन कर ही खुश हूं, लेकिन उनकी पार्टी ने नायडू को उषा पति के साथ-साथ उपराष्ट्रपति बनाना तय कर दिया है। वेंकैया नायडू स्वादिष्ट खाना खाने और खिलाने के शौकीन है। उनके घर पर अक्सर आंध्र के स्वादिष्ट भोजन की दावते होती है, १९९५ में जब शंकर सिंह बघेला ने बगावत कर दी थी तब वेंकैया नायडू को अहमदाबाद भेज गया, लगातर २१ दिन तक नायडू ने अहमदाबाद में कैंप किया। वेंकैया नायडू २००० से २००२ तक अटल सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री भी रहे हैं। वो २००२ से २००४ तक बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। ना सिर्फ वो इंग्लिश, हिंदी, तेलगू, तमिल तमाम भाषाएं जानते हैं, बल्कि पूरे देश में वो एक ऐसा जाना पहचाना चेहरा हैं। लगातार देखा गया है कि चाहे सरकार हो या पार्टी हो उसमें कोई भी तकनीकी विषय आता रहा है या कोई संकट आता रहा है तो वो लगातार ठीक प्रदर्शन करते रहे हैं।
इससे पहले २७ मई २०१४ से ५ जुलाई २०१६ तक वो संसदीय कार्यमंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं। मोदी सरकार में वेंकैया नायडू की भूमिका एक संकटमोचक की रही है। अपनी सियासी सूझबूझ के बल पर वेंकैया ने कई बार पार्टी और सरकार को संकट से निकालने में मदद की है। दरअसल बीजेपी की रणनीति है कि उत्तर भारत से राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति दक्षिण भारत का हो, जिससे वहां भी कमल खिलाने का रास्ता आसान हो सके और इसके लिए वेंकैया नायडू से बेहतर और कोई नहीं हो सकता था। इसके अलावा उप राष्ट्रपति पद पर बैठनेवाला शख्स ऐसा हो जो राज्यसभा के सियासी समीकरण को संभाल सके, क्योंकि वहां पर बीजेपी कमज़ोर है।
उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है। राज्यसभा में छुपा नहीं हुआ है कि सियासी आंकड़ों के खेल में बीजेपी पीछे पड़ जाती है। ऐसे में उनका राजनीतिक कौशल और उनका कद्दावर व्यक्तित्व सदन चलाने में काम आ सकता है। वेंकैया नायडू का उप राष्ट्रपति बनना तय माना जा रहा है, क्योंकि वोटों का गणित फिलहाल एनडीए के पक्ष में है, यानी राष्ट्रपति के पद पर रामनाथ कोविंद के रूप में उत्तर भारतीय और उप राष्ट्रपति के पद पर वेंकैया नायडू के रूप में एक दक्षिण भारतीय नेता होगा।

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