तीस हजार रसोइए गायब मिले ,कागजों पर बन रहा मध्यान्ह भोजन

भोपाल,प्रदेश के स्कूलों में रसोइए कागज पर ही मध्यान्ह भोजन बना रहे हैं। यह खुलासा रसोइयों को मानदेय का भुगतान सीधे खाते में करने की व्यवस्था को लागू करने पर हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि कुछ जगहों पर कागजों में ही रसोइयों के नाम पर मानदेय का खेल चल रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अब एक-एक स्कूल, स्व-सहायता समूह, पालक शिक्षक संघ की मैपिंग कर रसोइयों की वास्तविक संख्या पता लगाने में जुटा है। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में मिड डे मील का पूरा दारोमदार स्व-सहायता समूह पर है। रसोइयों को एक हजार रुपए के हिसाब से मानदेय दिया जाता है। कई बार ये शिकायत हो चुकी है कि एक रसोइए से कई संस्थाओं का खाना बनवाया जा रहा है। नियमानुसार 25 छात्रों पर एक रसोइया होना चाहिए। प्रदेश में 2 लाख 36 हजार 607 रसोइए हैं लेकिन जब इनका मानदेय सीधे खाते में जमा करने के लिए स्कूल, स्व-सहायता समूह, राशन दुकान और पालक शिक्षक संघ की मैपिंग की गई तो 30 हजार रसोइए गायब मिले। अधिकारियों को आशंका है कि कागजों में रसोइयों को दिखाकर मानदेय निकाला जा रहा था।
पूरा खेल स्व-सहायता समूह, स्कूल और पालक शिक्षक संघ की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है, इसलिए विभाग ने पूरी पड़ताल कराने का फैसला किया है। विभाग ने तय किया है कि अब स्कूलों को 65 फीसदी छात्रों के हिसाब से राशन दिया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग के हिसाब से भी प्रतिदिन औसत उपस्थिति 60 से 65 फीसदी ही रहती है लेकिन राशन का उपयोग सौ फीसदी रहा है। इससे जाहिर होता है कि राशन में खेल होता था, इसलिए तय किया गया है कि अब 65 प्रतिशत छात्र संख्या के हिसाब से राशन दिया जाएगा। यदि कहीं से ज्यादा की मांग आती है तो उसके बारे में अलग से निर्णय लिया जाएगा। अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास राधेश्याम जुलानिया ने बताया कि मिड डे मील की पूरी व्यवस्था को ऑनलाइन किया जा रहा है। रसोइयों को मानदेय का भुगतान सीधे मुख्यालय से खाते में किया जाएगा। लगभग 30 हजार रसोइयों की जानकारी अभी नहीं मिल रही है।

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