27 कॉलेजों में एक भी एडमिशन नहीं,चार साल से MCA के कॉलेज और छात्रों की संख्या में आ रही कमी

भोपाल,प्रदेश के 27 कॉलेजों में मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) कोर्स में एक भी एडमिशन नहीं हुए है। इनमें 7 कॉलेज तो केवल भोपाल के ही हैं। छात्रों की इस संख्या को देखते हुए प्रदेश में ‎शिक्षा का स्तर क्या है, इसका अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है। यह कोर्स प्रदेश के कुल 49 कॉलेजों में चल रहा है। शेष 11 कॉलेजों में एडमिशन की संख्या 5 या इससे कम है। ऑनलाइन काउंसलिंग में शामिल हो रहे 49 कॉलेजों की कुल 3110 सीटों के मुकाबले अभी तक केवल 8 फीसदी ही एडमिशन हुए हैं जबकि 92 फीसदी सीटें खाली हैं। एमसीए को लेकर छात्रों के रुझान में तेजी से कमी आई है। पिछले चार साल के आंकड़े देखे तो इस कोर्स को संचालित करने वाले कॉलेजों और सीटों की संख्या में लगातार गिरावट आई है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा जारी मान्यता सूची के अनुसार ही एमसीए की सीट पिछले साल की तुलना में पांच फीसदी घटी हैं। जबकि कॉलेजों में जो सीटें काउंसलिंग के लिए हैं वो पिछले साल के मुकाबले 38 फीसदी कम हैं।
इस बार कुल 49 कॉलेजो में एमसीए की कुल 3110 सीटों पर ही एडमिशन हो रहे हैं। जबकि एआईसीटीई ने कुल 66 कॉलेजों को 4770 सीटों के लिए मान्यता प्रदान की है। काउंसलिंग समिति ने एमसीए में अब लेटरल एंट्री से एडमिशन का कार्यक्रम जारी किया है। 4 अगस्त से रजिस्ट्रेशन और वेरीफिकेशन शुरू हाेंगे, जो 8 अगस्त तक चलेंगे। मेरिट सूची 9 अगस्त को जारी होगी अौर छात्रों को 10 से 12 अगस्त के बीच आवंटित कॉलेज में एडमिशन लेना होगा। एमसीए के प्रति छात्रों में घटती रुचि का सबसे बड़ा कारण इसकी अवधिऔर कम संख्या में प्लेसमेंट है। यह एकमात्र पीजी कोर्स है, जो तीन साल का है। वहीं इस कोर्स के पास आउट छात्रों के प्लेसमेंट का आंकड़ा भी लगातार घटा है। एआईसीटीई की रिपोर्ट के अनुसार 2015-16 में जहां कुल 939 छात्रों का प्लेसमेंट हुआ था वहीं यह संख्या 2016-17 में घटकर 569 हो गई थी। इस संबंध में यूजीसी के पूर्व सदस्य व शिक्षाविद डॉ. शशि राय का कहना है ‎कि इस कोर्स के प्रति रुझान घटने की कई वजह है। पहली वजह कोर्स की अवधि तीन साल की होना है। इसी के जैसे करीब तीन से चार कोर्स और चलते हैं जिनकी अवधि कम है। फिर एआईसीटीई ने काेर्स की मान्यता के मापदंड भी कठिन रखे हैं। इससे कॉलेज भी कोर्स में ज्यादा रुचि नहीं रखते। एआईसीटीई को कोर्स की अवधि घटाने का सुझाव दिया गया था, जो नहीं माना गया।’

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