एविएशन सेक्टर से चुनौती ‎मिल सकती है रेलवे को?

नई दिल्‍ली, आने वाले दिनों में कम दूरी वाले शहरों की यात्रा के मामले में रेलवे के एकाअधिकार को एविएशन सेक्टर से चुनौती मिल सकती है। सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश में कुल घरेलू उड़ानों का 25 फीसदी हिस्सा 500 किलोमीटर की दूरी वाले शहरों के बीच होता है। लंबी दूरी की यात्रा के लिए लोग पहले ही रेल की बजाय फ्लाइट को महत्व देते रहे हैं। एनालिस्ट्स के मुताबिक आने वाले 3 सालों में घरेलू विमानन कंपनियां लंबी दूरी के सफर के मामले में रेलवे के मध्य और उच्चवर्गीय यात्रियों की बड़ी संख्या पर कब्जा कर लेंगी। इन आंकड़ों से साफ है कि देश के नैशनल ट्रांसपोर्टर का रेलवे का तमगा आने वाले दिनों में रेलवे से छिन सकता है। स्पीड के चलते एयरलाइंस को हमेशा से रेलवे के मुकाबले बढ़त रही है। लेकिन, अब कम किराये और मजबूत यात्री सेवाओं ने एयरलाइंस को और बढ़त दिलाई है। इन दो कारणों से जहां एयरलाइंस को ग्रोथ मिल रही है, वहीं रेलवे को तत्काल यात्री सुविधाओं में सुधार की जरूरत है। अपनी खराब कस्टमर सर्विसेज के चलते रेलवे पहले ही खबरों में है। हाल ही में कैग ने उसकी खराब सेवाओं पर रिपोर्ट सार्वजनिक की थी। एविएशन सेक्टर से मुकाबले की बात करें तो रेलवे को इसे ‘वेक अप कॉल’ की तरह से लेना चाहिए। रेलवे को प्राइसिंग और कस्टमर सर्विसेज में सुधार पर तत्काल ध्यान देना होगा। खराब सेवाओं के अपने पुराने ढर्रे से उबरने में रेलवे को जहां एक ओर मुश्किलें आ रही हैं। वहीं, दूसरी ओर बड़ी संख्या में लोग हवाई यात्रा को अपना रहे हैं। अब लोग लंबी यात्राओं के साथ ही सीमित दूरी के सफर के लिए भी फ्लाइट के विकल्प को चुन रहे हैं। छोटे कस्बों तक एयरपोर्ट्स के पहुंचने और लो-कॉस्ट एयरलाइंस के चलते एविएशन सेक्टर के मार्केट का विस्तार हुआ है। एक तरफ विमान किराया रेलवे के किराये के करीब आता जा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ सरकार की उड़ान जैसी स्कीमों से भी लोगों को महज एक घंटे के भीतर यात्रा करने का अवसर मिल रहा है, वह भी सस्ती दरों पर। रेलवे में प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी और थर्ड क्लास एसी में सफर करने वालों की संख्या लगातार कम हो रही है।

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