नर्मदा विस्थापन पर रार अनशन के बीच मंत्री का पुतला फूंका, मेधा की तबियत बिगड़ी

बड़वानी/धार,(धरना स्थल से हेमंत गर्ग) सरदार सरोवर बांध के गेटों की ऊंचाई के बाद बड़वानी-धार के लोगों के सामने आपदा आ गई है। इस बीच, लोगों ने बुधवार को उग्र प्रदर्शन किया। बड़वानी एवं धार दोनों जिलों के विस्थापितों ने सड़कों को जाम किया। वहीं, धार के चिखलदा में अनशन के सातवे दिन मेधा पाटकर की तबियत खराब हो गई है। उन्हें कई बार उल्टियां हुईं। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने मंत्री लाल सिंह आर्य का पुतला जलाया और पुतले को जूते-चप्पलों से पीटा। नर्मदा बचाओं आंदोलन के कार्यकर्ताओं का कहना है कि मंत्री लालसिंग आर्य ने झूठा बयान दिया है। गौरतलब है कि मंगलवार को आर्य ने कहा था कि सरदार सरोवर बांध विस्थापितों का 98 प्रतिशत पुनर्वास किया जा चुका है और मेधा पाटकर व कांग्रेस भ्रम फैला रहे हैं। इसी बयान के बाद कार्यकर्ताओ ने विरोध प्रदर्शन किया।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार जमीनी हालात जानने के लिए धरातल क्यों नहीं आ रही है। इस तरह का झूठ बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। वहीं, बड़वानी के खेतिया-सेंधवा स्टेट हाइवे पर मोयदा के समीप जुलुस में पैदल चल रहे लोगों को ट्रक ने रौंद दिया। इस हादसे में 3 लोगों की तत्काल मौत हो गई, जबकि 3 गंभीर लोगों को बड़वानी जिला अस्पताल में में भर्ती किया गया है।
बच्चों की शिक्षा चौपट
विस्थापित परिवारों के सामने जहां रोजी-रोटी का संकट है वहीं उनके बच्चों की शिक्षा पर भी संकट के बादल गहरा गए हैं। 31 जुलाई की डेड लाइन खत्म होने पर इन इलाकों में संचालित होने वाले विद्यालयों को बंद कर दिया गया है। वहीं, नई बसाहटों पर पर बच्चों को स्कूलों में पढऩे जाने के लिए कहा गया है। अचानक हुए इस बदलाव के कारण बच्चे स्कूलों में नहीं जा पा रहे हैं। धार के चिखलदा में आंदोलन में ये बच्चे भी शामिल हुए। बच्चों ने कहा कि हमारे गांव से 10 किमी दूर तक स्कूल जाना मुश्किल काम है। बारिश के चलते बच्चे स्कूल जाने से वंचित हो रहे हैं।
मेधा पाटकर की तबियत बिगड़ी
सरदार सरोवर विस्थापितों डूब प्रभावितों के लिए 35 सालों से लड़ाई लड़ रही सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की तबियत अनशन के सातवें दिन बिगड़ गई। मेधा के साथ 11 अन्य डूब प्रभावित भी अनशन कर रहे हैं। उपवास स्थल पर रोज प्रशासनिक अमला आ रहा है। डाक्टर की टीम से मेधा ने इलाज कराने से मना कर दिया। मेधा पाटकर और विस्थापितों ने मांग रखी है कि जब तक पूर्ण व्यवस्थित पुनर्वास और मांगों को व्यवस्थित ठंग से पूर्ण करने का विश्वास नहीं दिलाया जाता तब तक अनशन उपवास जारी रहेगा।
सरकार आंदोलन कमजोर करने पर आमदा
मेधा का कहना है कि सरकार हमसे छलावा कर रही है। झूठे आंकड़े पेश किये जा रहे हैं। इससे संगठन को काफी दु:ख पहुच रहा है। वही अटकलेे लगाई जा रही है पुलिस प्रशासन कहीं ना कहीं स्वास्थ खऱाब होने के नाम पर मेधा को उपवास स्थल से हटाकर आंदोलन को कमजोर करने की पूरी कोशिश में जुटा है।
…इस सरकारी दावे को विस्थापितों ने बताया झूठ
नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रजनीश वैश ने बताया था कि डूब और विस्थापन के बारे में कतिपय तत्वों द्वारा जन-सामान्य को भ्रमित किया जा रहा है। यह बताया जा रहा है कि प्रभावित ग्रामों की संख्या 192 और प्रभावित परिवारों की संख्या 36 हजार है जो पूर्णत: असत्य है। वास्तविकता यह है कि धार, बड़वानी, अलीराजपुर और खरगोन जिले के कुल 178 ग्राम आंशिक डूब के प्रभाव में है। इनमें से धार के 77, बड़वानी के 65, अलीराजपुर के 26 तथा खरगोन के 10 ग्राम है। इन ग्रामों में प्रभावित परिवारों की संख्या 23 हजार 614 है। इनमें से 5551 परिवार गुजरात में बस गए हैं।
एक नजर में
-अलीराजपुर-खरगोन के सभी प्रभावित गांव कराए गए खाली
-सरदार सरोवर प्रभावितों का विस्थापन तेजी से जारी
-मुख्यमंत्री द्वारा घोषित पैकेज पर सरकार 900 करोड़ व्यय करेगी
-पुनर्वास स्थलों पर सभी मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था
-563 परिवारों में से 12 हजार 577 परिवार अब तक विस्थापित हो चुके हैं।
-39 पुनर्वास केन्द्र
-50 अस्थाई पुनर्वास शेड
-पुनर्वास केन्द्रों पर बिजली, सड़क, पानी सहित सभी मूलभूत सुविधाएं
-115 हेण्ड-पंप
-81 पॉवर पम्प के से दिया जा रहा पानी
-आंतरिक सड़कों का बिछाया जाल
-171 शासकीय भवनों की मरम्मत एवं रंग-रोगन
-49 सामुदायिक, प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केंद्र
-158 चिकित्सा अधिकारियों एवं पेरामेडिकल स्टॉफ की ड्यूटी
– 24 घंटे सेवाएं देंगे यह कर्मचारी
-धार के 17 पुनर्वास स्थलों पर 30 जून, 2017 तक 101.35 किलोमीटर आंतरिक मार्गों का निर्माण। यह कार्य लगातार जारी है।

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