गंदे चादर और कंबल से निपटने रेलवे चालू करेगा खुद की मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री

भोपाल गंदे चादर और कंबल (लेनिन) की शिकायतों से निपटने के लिए रेलवे खुद की मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री (आधुनिक मशीनों से धुलाई) चालू करने जा रहा है। यह लॉन्ड्री आने वाले दो माह में चालू हो जाएगी। उसके बाद इन ट्रेनों से निकलने वाले गंदे चादर, कंबल की धुलाई रेलवे खुद कराएगा। राजधानी के स्टेशनों से चलने वाली शान-ए-भोपाल, रेवांचल और भोपाल-प्रतापगढ़ एक्सप्रेस में इस तरह की ‎शिकायतें ज्यादा ‎मिल रही है। रेलवे अभी यह काम पश्चिम बंगाल की रसीद खान नामक फर्म से करवाता है। इसमें हर माह लाखों रुपए खर्च होने के बाद भी यात्रियों को गंदे चादर, कंबल ही मिलते हैं। तीनों ट्रेनों में रोजाना 4 हजार से अधिक गंदे चादर और कंबल निकलते हैं। धुलाई रातीबड़ स्थित एक निजी लॉन्ड्री में होती है। इनके उपयोग के बाद कई बार यात्री चादरों व कंबलों के गंदे होने की शिकायत करते हैं।
धुलाई पर हर माह हो रहे खर्च को बचाने और यात्रियों को अच्छी क्वालिटी की साफ-सुथरी चादर, कंबल देने पश्चिम रेलवे कॉलोनी में खुद की मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री चालू करवा रहा है। इसके लिए मशीनें आ चुकी है, इंस्टॉलेशन का काम चल रहा है। आउट सोर्स के जरिए कर्मचारियों की भर्ती भी हो चुकी है। सितंबर के पहले सप्ताह में भोपाल रेल मंडल की पहली मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री चालू हो जाएगी। इधर, जबलपुर रेल मंडल में रेलवे के पास खुद की मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री है उसके बाद भी गंदे चादर, कंबल की शिकायतें कम नहीं हुई। दो माह पहले लॉन्ड्री से धुलकर ट्रेनों में चढ़े चादर, कंबल की दर्जनों शिकायतें मिली थी। जिसके बाद सामने आया था कि अधिकृत लॉन्ड्री में धुलाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। हालांकि, मामले में कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई की थी। इस बारे में भोपाल रेल मंडल के पीआरओ आईए सिद्दीकी का कहना है ‎कि नई लॉन्ड्री का काम जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं। अभी 80 फीसदी से अधिक काम हो चुका है। रेलवे के पास खुद की लॉन्ड्री होने से गुणवत्ता सुधरेगी। यात्रियों को परेशान नहीं होना पड़ेगा।

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