58 % मजदूरों को समय पर नहीं मिलती मजदूरी,मनरेगा में 10 ‎जिलों में लापरवाही उजागर

भोपाल,प्रदेश के 58 फीसदी मनरेगा मजदूरों को समय पर मजदूरी नहीं मिलती है। प्रदेश के दस जिलों के कलेक्टरो की इस तरह की घोर लापरवाही उजागर हुई है। राज्य शासन द्वारा मनरेगा के लिए सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल द्वारा कराए गए सोशल आॅडिट में यह खुलासा हुआ है। मनरेगा में प्रदेश में 45 लाख 35 हजार कार्यकर्ता काम कर रहे है। वर्ष 2016-17 में सरकार ने मनरेगा से 39 लाख 78 हजार लोगों को रोजगार प्रदान किया। इस दौरान 6 लाख 36 हजार काम शुरु किए गए। प्रदेश में अब तक मनरेगा में 2824 करोड़ रुपया खर्च हुआ है जबकि इसमें से मजदूरी भुगतान में 1672 करोड़ रुपए बांटे गए। इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा मनरेगा में वर्ष 16-17 में 38 करोड़ रुपए में से 210 करोड़ रुपए का भुगतान बीस जून तक किया। जो काफी बिलंब से किया गया। इस साल जनवरी में मजदूरी भुगतान के लिए निर्धारित 1115 करोड़ रु पए में से 642 करोड़ रुपए का भुगतान विलंब से किया गया। प्रदेश के 72 लाख 61 हजार 77 लोगों को मजदूरी देरी से मिली जिससे उनके परिवार के पालन पोषण की स्थितियां गड़बड़ा गई। यह कुल मजदूरों का 58 प्रतिशत था। हार्वर्ड विश्वविद्यालय की पॉलिसी डिजाइन हेतु साक्ष्य ने अनुसंधान में रुचि दिखाई और स्कूल को सहयोग किया।
स्कूल की उप सलाहकार मंगला गौरी ने इस अध्ययन का समन्वय किया। कुल सत्रह जिलों में यह सर्वे कराया गया। जो प्रदेश के सभी प्रमुख जिलों को कवर करते थे। इनमें से दस जिलों में मजदूरी काफी विलंब से बटी, तीन जिलों में अपेक्षाकृत कम विलंब से मजदूरी भुगतान हुआ और चार जिलों को ईपीओडी के अनुरोध पर जोड़ा गया। हर जिले के चयनित ब्लॉक में से एक ग्राम पंचायत को अध्ययन के लिए रेण्डम आधार पर चुना गया। पहले चरण में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर प्रक्रिया को विभिन्न चरणों में बांटकर रेण्डम आधार पर पचास-साठ मस्टररोल चुने गए। सभी मस्टर रोल देरे से भुगतान के थे। ये मस्टर अप्रैल 16 से जून 16 के बीच के थे। ग्राम रोजगार सेवक और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत स्तर पर विलंब हुआ। कलेक्टरों ने सही मानीटरिंग नहीं की। 88 प्रतिशत जिलों ने उपयंत्री द्वारा मस्टर रोल बंद करने और मूल्यांकन करने के स्तर पर विलंब किया। 47 फीसदी में मजदूरी सूची जनरेशन में दूसरा सबसे बड़ा विलंब मिला। 35 फीसदी में निधि स्थानांतरण आदेश के द्वितीय हस्ताक्षरकर्ता ने बिलंब किया। जनपद पंचायतों में मस्टर रोल जारी करने में तय प्रोटोकाल का पालन नहीं हो रहा था।

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