अब मोदी सरकार 2019 से बदलने जा रही वित्त वर्ष

नई दिल्ली, देश की आर्थिक नीति में कई अहम बदलाव लाने के बाद मोदी सरकार अब वित्त वर्ष बदलने जा रही है। सूत्रों के अनुसार उसने 2019 से वित्त वर्ष को कैलेंडर वर्ष के हिसाब से यानी जनवरी से दिसंबर तक चलाने का मन बना लिया है। केंद्र सरकार पहले सोच रही थी कि इस बदलाव को जनवरी 2018 से ही लागू कर दिया जाए। लेकिन नोटबंदी और जीएसटी लागू होने से हुई परेशानियों को देखते हुए अब वह एक साल रुकना चाहती है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया ​है कि अगले साल केवल नौ महीने का बजट पेश किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार बदली परिस्थितियों में वित्त वर्ष 2019 का बजट नवंबर में ही पेश कर सकती है। उनके मुताबिक अगले साल अगस्त से ही बजट प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ने अपनी इस राय से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को अवगत करा दिया है कि इस बदलाव के लिए अभी काफी तैयारी की जरूरत है। इस अधिकारी का यह भी कहना है कि अब इस बारे में अंतिम निर्णय पीएमओ ही निर्णय लेगा जो अगले महीने तक हो जाने की संभावना है।
अभी देश का वित्त वर्ष अप्रैल से मार्च तक चलता है। यह नियम 1867 से लागू है लेकिन आलोचकों का कहना है कि वित्त वर्ष की मौजूदा अवधि देश की परिस्थितियों के अनुकूल नहीं है। उनके मुताबिक इसे अंग्रेजों ने अपने देश के वित्त वर्ष की अवधि के अनुरूप रखने के लिए लागू किया था। केंद्र की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार भी ऐसा ही मानती है। जानकारों के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य निर्धारक मानसून है, जो अक्टूबर में खत्म होता है। इसलिए हर साल उसके प्रभावों का आकलन करने के तुरंत बाद नया वित्त वर्ष प्रारंभ करना अर्थव्यवस्था के लिए हितकर रहेगा। पिछले साल तक केंद्रीय बजट मई तक मंजूर हो पाता था। इसके चलते बजट की राशि नीचे तक पहुंंचते-पहुंचते अगले साल का मानसून आ जाता था और धन का सही वक्त पर उचित उपयोग नहीं हो पाता था।

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