बाइक, फ्रिज, टीवी, कूलर, ‎‎फिर भी गरीब झमेले में अ‎‎धिकारी आगे कुआ पीछे खाई

इंदौर,लोगों के घर में हर सुख सु‎‎विधा का सामान मौजूद है ले‎किन ‎‎फिर भी वे संतुष्ट नहीं है और गरीबी रेखा की सूची में नाम दर्ज करवा कर गरीबों वाला राशनकार्ड बनवाने के ‎लिए ‎शिकायतें कर रहे हैं। ऐसी ‎स्थिति में अ‎धिका‎रियों के सामने असमंजस की ‎स्थिति ‎निर्मित हो रही है ‎कि आ‎खिर वे करे तो क्या करे। घर में मोटरसाइकिल, फ्रिज, टीवी, कूलर सब कुछ है, फिर भी बीपीएल कार्ड चाहिए। अपात्र होने पर उनका बीपीएल कार्ड नहीं बना तो मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत कर दी। एसडीएम की जांच के बाद आवेदकों अपात्रता के बारे में भी बताया, लेकिन वह शिकायत वापस लेने को तैयार नहीं हैं। ऑनलाइन सिस्टम होने से शिकायत कलेक्टर और कमिश्नर के पोर्टल तक पहुंच गई। इस पर संबंधित अधिकारियों को फटकार पड़ गई कि आवेदक की शिकायत का निराकरण क्यों नहीं किया जा रहा है। अधिकारी ऐसे मामले में दोतरफा उलझ गए हैं, यदि कार्ड बनाते हैं तो नियम का उल्लंघन होगा और नहीं बनाते हैं तो ऊपर से फटकार पड़ रही है और नोटिस जारी हो रहे हैं। यह मामला इंदौर की जनसुनवाई का है।
दरअसल मप्र शासन और जिला प्रशासन दोनों की प्राथमिकता इन दिनों सीएम हेल्पलाइन है। कलेक्टर ने जनसुनवाई में आने वाली शिकायतें भी सीएम हेल्पलाइन से लिंक कर दी हैं। इसके चलते सभी एसडीएम, तहसीलदार के पास शिकायतों का अंबार लग गया है। इसमें 50 फीसदी से अधिक शिकायतें बीपीएल कार्ड, जाति प्रमाणपत्र और आर्थिक सहायता की आती हैं। शेष राजस्व प्रकरण, जमीन कब्जे, भरण पोषण की आती हैं, लेकिन अब सीएम हेल्पलाइन में अजीब शिकायतें भी देखने में आ रही हैं। खासतौर से बीपीएल कार्ड के लिए। जाति प्रमाण-पत्र में भी ऐसी ही शिकायतें आ रही है, संबंधित के पास प्रमाण पत्र आवेदन में लगाने के लिए पुराने 1950 और 1984 के दस्तावेज ही नहीं हैं, फिर भी सीएम हेल्पलाइन में प्रमाण पत्र नहीं बनाने की शिकायत कर दी है। इसके चलते अधिकारी को नोटिस मिल रहे हैं, लेकिन दस्तावेज नहीं होने से वह प्रमाणपत्र भी नहीं बना पा रहे हैं। यदि बना दिया तो संबंधित एसडीएम पर प्रकरण दर्ज हो जाएगा।
सीएम हेल्पलाइन में नियम है कि यदि किसी ने शिकायत की है तो वह शिकायत तब तक बंद नहीं होगी, तब तक कि स्वयं आवेदक हेल्पलाइन पर फोन कर यह नहीं कह दे कि उसकी शिकायत का निराकरण हो गया है और वह संतुष्ट है। लेकिन समस्या यह है कि बीपीएल कार्ड, जाति प्रमाणपत्र, आर्थिक सहायता व अन्य ऐसे मामले में जब आवेदक के पक्ष में फैसला नहीं होता है तो शिकायत बंद कराने से मना कर देता है और खुद को असंतुष्ट बताता है। इसके चलते शिकायत एक तय समय अवधि में कलेक्टर से होते हुए कमिश्नर स्तर तक लंबित हो जाती है। ऐसे में कई मामलों में फिर फोर्स क्लोज का ही विकल्प रह जाता है। लेकिन यह कम मामलों में मान्य किया जाता है। इस संबंध में इंदौर कलेक्टर निशांत वरवड़े का कहना है ‎कि सीएम हेल्पलाइन शासन की प्राथमिकता है। उसी के अनुसार शिकायतों का निराकरण करना है। बेवजह के आवेदन को बंद किया जा सकता है।’

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