नई दिल्ली,अब सेना रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बिना खरीदारी कर सकेगी। रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र बलों को अहम वित्तीय अधिकार सौंपा है। इसके साथ ही रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने संवेदनशील सैन्य ठिकानों की सुरक्षा पुख्ता करने से जुड़े कामों की डेडलाइन तय कर दी है, जिससे काम समयबद्ध तरीके से और प्राथमिकता के साथ पूरे हों। रक्षा प्रतिष्ठानों और एयरबेस के सुरक्षा इंतजामों के आधुनिकीकरण में धीमापन देखा जा रहा था। ताजा कदम का मुख्य मकसद फैसले लेने की प्रक्रिया में तेजी लाना बताया गया है।
तीनों सेनाओं के उप प्रमुखों को रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बिना ऑर्डर देने, खरीदारी करने और सिविल वर्क कराने की शक्ति दी गई है। सरकार ने इसे बेहद अहम कदम करार देते हुए कहा है कि इससे सेनाओं के पास जो मौजूदा अधिकार हैं, उनमें भारी बढ़ोतरी होगी। हाल में आर्मी के वाइस चीफ को गोला बारूद और पुर्जे खरीदने के लिए पूरे वित्तीय अधिकार दिए गए ताकि युद्ध भंडार का जरूरी स्तर कायम रहे। सेनाओं के करीब 3000 ठिकानों में 600 को अत्यधिक संवेदनशील माना गया है।
पिछले साल जनवरी में पठानकोट अटैक के बाद आर्मी के वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) फिलिप कम्पोज की अध्यक्षता में एक कमिटी गठित की गई थी। इसने घेरेबंदी में टूट की पहचान करने वाला तकनीकी सिस्टम लगाने और खुफिया व्यवस्था मजबूत बनाने पर जोर दिया था। यह भी कहा गया था कि रक्षा ठिकानों की सुरक्षा में लगे कर्मियों को बेहतर हथियार और बचाव के सामान दिए जाएं। इस साल मार्च में एक संसदीय समिति ने इन ठिकानों के सुरक्षा इंतजामों में कमी पर गहरी नाराजगी जताई थी।