नई दिल्ली, केंद्र सरकार इंडिविजुअल्स को दिवालिया घोषित करने की ऐसी प्रक्रिया तैयार करने जा रही है जो आर्थिक संकट के दलदल में फंसने के बजाय उन्हें इससे निकलने में मदद करेगी। नए नियम के तहत वक्त पर कर्ज की रकम नहीं चुका पाने वालों को आसान मौके दिए जाएंगे और उन्हें बैंक को एकमुश्त पैसे देने को बाध्य नहीं किया जाएगा। इसके पीछे मकसद प्रक्रिया को ज्यादा मानवीय बनाना है क्योंकि नए नियमों का वास्ता किसानों और किराना दुकानदारों से लेकर मध्यवर्ग के वेतनभोगियों से होगा जो रोजगार छिनने जैसे उचित कारणों की वजह से वक्त पर पैसे जमा नहीं करा पाते हैं। तैयार किए जा रहे नियम लोन डिफॉल्ट करने वाले व्यक्ति को एक प्लान के मुताबिक लोन चुकाने में मदद करेंगे। साथ ही उन पर एक बार में लोन चुकाने का दबाव नहीं होगा। खबरों के मुताबिक सरकार इस प्रक्रिया को ज्यादा मानवीय बनाना चाहती है। इन नियमों से किसानों से लेकर किराना दुकान के मालिक और मध्यम वर्गीय वेतनभोगी कर्मचारियों को राहत मिलेगी, जिन्हें नौकरी जाने समेत दूसरे कई कारणों से लोन चुकाने में दिक्कत होती है।
व्यक्तिगत दिवालियापन यानी इंडिविजुअल इन्सॉल्वंसी को लेकर 100 साल पहले नियम बने हैं, लेकिन उनका संयमपूर्वक इस्तेमाल पिछले कुछ दशकों से ही हो रहा है। ज्यादातर मामले जिला जजों के तहत आते हैं। हालांकि, बैंक अभी बकाया वसूलने के मकसद से बने सिक्यॉरिटाइजेशन ऐंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनैंशल ऐसेट्स ऐंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्यॉरिटी इंट्रेस्ट ऐक्ट (सरफेसी) के तहत डेट रिकवरी ट्राइब्युनल्स का रुख करते हैं। इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्शी कोड इंडीविजुअल्स को दिवालिया घोषित किए जाने की सहूलियत देते हैं, लेकिन अभी तक यह केवल कॉरपोरेट सेक्टर और स्टार्ट-अप्स तक सीमित है। लेकिन अब, कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री और इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्शी बोर्ड ऑफ इंडिया ने इंडीविजुअल्स और पार्टनरशिप फर्मों की मदद करने के लिए नियम लाने पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।