संघ ने माना, राष्ट्र विरोधी तत्वों पर सख्त कार्रवाई करे सरकार

जम्मू,घाटी में मोदी सरकार लगातार आंतकियों और अलगाववादी नेताओं के खिलाफ सख्त रुख दिखा रही हैं, अब मोदी सरकार के इस निर्णय को संघ का साथ मिल गया है। बात दे कि उपमुख्यमंत्री डॉ.निर्मल सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारकों से मुलाकात कर जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा हालात, सरकार के कामकाज और भाजपा की भूमिका की जानकारी दी। संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन भाग लेने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भी पहुंचे। दोपहर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से अलग डॉ. निर्मल सिंह ने राम माधव, आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत व वरिष्ठ प्रचारकों के साथ जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकी गतिविधियों, अमरनाथ श्रद्धालुओं पर हुए आतंकी हमले, सीमा पर पाकिस्तान की गोलीबारी, विकास प्रोजेक्टों समेत अन्य मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। उपमुख्यमंत्री ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों, आतंकवाद से निपटने की रणनीति समेत अन्य मुद्दों की जानकारी दी। संघ का मानना था कि राष्ट्र विरोधी तत्वों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। दूसरी तरफ राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दिनभर देश व राज्य के ज्वलंत मुद्दों, संगठनात्मक गतिविधियों की मजबूती समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई।
प्रचारकों का मानना था कि चीन के भारत में बढ़ते दखल को रोकने व पाकिस्तान के नापाक इरादों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार को कड़ा रुख अपनाना चाहिए। बैठक में सहकार्यवाह भैया जी जोशी, दत्तात्रेय, सोनी जी, डॉ. कृष्ण गोपाल, भैया जी समेत संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी वीरवार को समाप्त हो जाएगी। नेशनल पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन हर्षदेव सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत को पत्र लिखकर कहा है कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रवादी लोगों के मुद्दों का समाधान किया जाए। देश की एकता-अखंडता के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान का जिक्र करते हुए हर्षदेव ने कहा कि भाजपा ने अपने मूल्यों से समझौता कर लिया है। सत्ता की खातिर पीडीपी के साथ सरकार बनाई, लेकिन चुनाव में किए वादों को पूरा नहीं किया। मोहन भागवत इन दिनों संघ की तीन दिवसीय राष्ट्रीय बैठक के सिलसिले में जम्मू में हैं। वहीं इस मामले में कांग्रेस सरकार की सख्ती वाली नीति के खिलाफ हैं कांग्रेस का कहना हैं कि सरकार यदि घाटी में बंदूक से काम लेती हैं तो वहां उसका साथ नहीं देगी। कांग्रेस ने कहना हैं कि सरकार में कश्मीर में मामले में अलगाववादी नेताओं को साथ लेकर चलाना चाहिए,लेकिन सरकार घाटी के किसी भी मामले में अलगाववादी नेताओं से संपर्क नहीं करना चाहती है।

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