मुख्यमंत्री विश्‍वास मत हासिल करने के लिए सदन में नहीं पहुंचे

कोहिमा, नगालैंड के मुख्यमंत्री शुरहोजेली लिजित्सू शक्ति परीक्षण के लिए विधानसभा नहीं पहुंचे,उसके बाद विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। इस मामले में स्‍पीकर, गवर्नर को रिपोर्ट भेज रहे हैं, दरअसल मंगलवार को गौहाटी उच्च न्यायालय द्वारा विश्वासमत हासिल करने के राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने वाली याचिका ठुकराए जाने के बाद नगालैंड के मुख्यमंत्री शरहोजेली लिजित्सू को बुधवार को विधानसभा के विशेष सत्र में शक्ति परीक्षण से गुजरना था, इससे पहले राज्यपाल पीबी आचार्य ने अपने पार्टी के विधायकों की बगावत का सामना कर रहे मुख्यमंत्री के शक्ति परीक्षण के लिए मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष इम्तीवापांग को बुधवार सुबह साढ़े नौ बजे विधानसभा का आपात विशेष सत्र बुलाने का निर्देश दिया था। इससे पहले मंगलवार को दिन में गौहाटी उच्च न्यायालय की कोहिमा पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल एम जमीर ने लिजित्सू की रिट याचिका ठुकरा दी जिसमें उन्होंने विधानसभा में विश्वासमत हासिल करने के राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने की मांग की थी,अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि इसमें कोई दम नहीं है और इसके साथ ही निर्देश देने के अपने अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया एवं मामले को राज्यपाल के विवेकाधिकार पर छोड़ दिया।
अदालत ने कहा,इस अदालत की राय है कि राज्यपाल ने यह देखने के लिए याचिकाकर्ता (लिजित्सू ) को सदन में शक्ति परीक्षण के लिए कहकर सही फैसला किया कि मुख्यमंत्री पद के दावे के लिए सदन में किसके पास बहुमत है। अदालत ने यह भी कहा कि मामले में मुख्यमंत्री को राज्यपाल के निर्देश में दखल देने का कोई कारण नहीं है,मुख्यमंत्री ने 14 जुलाई को याचिका दायर की थी और अदालत ने राज्यपाल के निर्देश पर कल तक रोक के लिए अंतरिम आदेश जारी किया था ताकि मामले की सुनवाई की जा सके। आचार्य ने 11 और 13 जुलाई को लिजित्सू को 15 जुलाई या उससे पहले विश्वासमत हासिल करने का निर्देश दिया था,लिजित्सू मौजूदा 59 सदस्यीय विधानसभा में नेतृत्व में बदलाव की मांग कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग के नेतृत्व में सत्तारूढ़ नगा पीपुल्स फ्रंट के 43 विधायकों की बगावत का सामना कर रहे हैं। शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत के आरक्षण को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद पद छोड़ने वाले जेलियांग ने यह कहते हुए सरकार बनाने का दावा किया कि उनके पास सदन में बहुमत है।

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