किसान आत्महत्या पर हंगामा, दिग्विजय बोले, मौन क्यों है मोदी सरकार? गौ रक्षकों के हमलों में लोग शामिल -नकवी

नई दिल्ली,संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हंगामे भरी रही है। लोकसभा की कार्यवाही बुधवार को शुरू होते ही विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया, इस दौरान पीएम मोदी भी लोकसभा में मौजूद थे। भारी हंगामे के बाद लोकसभा की कार्यवाही १२ बजे तक के लिए स्थगित कर दी। वहीं राज्यसभा में शरद यादव ने भी राज्यसभा में किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरा। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने किसानों की आत्महत्या के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा। दिग्विजय सिंह ने कहा कि आज भी जंतर-मंतर पर कई किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार चुप है। सत्र शुरू होने से पहले संसद में बुधवार को ही बीजेपी संसदीय दल की बैठक हुई। बैठक में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हाल ही में हुई पीएम मोदी कि विदेश यात्रा की तारीफ की, वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी पर अपनी बात रखी। सुषमा ने कहा कि हाल ही में जो पीएम की यात्राएं रही हैं, वह ऐतिहासिक थी।
भाजपा संसदीय दल की बैठक खत्म होने के बाद संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार का कहना है कि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बैठक में जीएसटी की तारीफ की और उससे होने वाले फायदों को गिनाया। अनंत कुमार ने कहा कि अभी तक ७५ लाख जीएसटी से जुड़ हैं, आने वाले दिनों में १ करोड़ लोग और भी जुड़ेंगे। जीएसटीके बाद इंस्पेक्टर राज पूरी तरह से खत्म होगा। उन्होंने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि विपक्ष सदन चलने देगा, सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।
मंगलवार को राज्यसभा में बहस के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती ने नाराज होकर अपना इस्तीफा दे दिया।
मायावती राज्यसभा में अपनी बात पूरी ना किए जाने से नाराज थी। मायावती की राज्यसभा के उपसभापति पी.जे.कुरियन से तीखी बहस हुई, जिसके बाद वे राज्यसभा से बाहर चली गई थी। कांग्रेस ने भी उनके समर्थन में वॉकआउट किया था। अपने बेटे को लेकर सियासी उठापटक में उलझे आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मायावती को राज्यसभा भेजने का ऑफर दिया है। लालू यादव ने कहा कि मायावती सदन में दलितों की आवाज उठा रही थीं, लेकिन भाजपा के सदस्यों ने उन्हें बोलने नहीं दिया। लालू ने कहा इस बात में कोई शक नहीं कि मायावती देश की दलित नेता हैं और उन्हें सदन में दलितों की बात नहीं रखने दी गई। उन्होंने कहा अगर मायावती सहमत होती हैं तो वो अपनी पार्टी के कोटे से उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाने के लिए तैयार हैं। हालांकि, अभी तक मायावती का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। जिसकी एक वजह ये भी कि उन्होंने तीन पन्नों का त्यागपत्र सौंपा है, जो नियमों के खिलाफ है। ऐसे में फिलहाल उनका इस्तीफा मंजूर होना मुमकिन नहीं है।

गोरक्षकों के हमलों में पार्टी या सरकार नहीं, बल्कि लोग शामिल-नकवी
नई दिल्ली,केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि गोरक्षकों द्वारा किए गए अपराधों में कोई पार्टी या सरकार नहीं, बल्कि लोग शामिल हैं। उन्होंने इस तरह के अपराधों को अंजाम देने वालों को अलग-थलग करने और उनपर काबू पाने के लिए एकजुट होकर मुकाबला करने का आह्वान किया।
केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री नकवी ने राज्यसभा में कहा, ‘यह पूर्णत: अपराध की घटनाएं हैं और किसी को इन्हें सांप्रदायिक रंग नहीं देना चाहिए। अगर आप इस तरह की संगीन घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देते हैं, तो यह केवल उन अपराधियों के उद्देश्यों की पूर्ति होगी, जो चाहते हैं कि इन अपराधों को धर्म से जोड़कर देखा जाए।’ नकवी की यह टिप्पणी विपक्षी नेता गुलाम नबी आजाद के उस आरोप के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि बीते तीन वर्षों में सांप्रदायिक लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) की घटनाओं की संख्या में इजाफा हुआ है।
नकवी ने कहा कि विपक्ष इन मुद्दों को एक साजिश के हिस्से के तहत उठा रहा है, क्योंकि मोदी सरकार में भ्रष्टाचार का कोई मामला उनके हाथ नहीं लग सका है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए सरकार को बदनाम करने के लिए वे इस मुद्दे का इस्तेमाल कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि आजाद ने दावा किया है कि इस तरह की घटनाओं के साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है, जो गलत है, क्योंकि राजस्थान, हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में ऐसे मामलों को फौरन दर्ज किया गया और संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया।
मंत्री ने कहा, ‘यहां तक कि सर्वदलीय बैठक के दौरान, जिसमें आजाद जी भी मौजूद थे, प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व अराजकता फैलाने के लिए गोरक्षा को एक औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।’ मोदी ने स्पष्ट किया था कि इन घटनाओं का देश की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और उन्होंने राज्य सरकारों से इन अराजक और असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा था। उन्होंने इशारा किया कि इस तरह की घटनाएं यूपीए की सरकारों के दौरान भी होती थीं।

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