आयकर विभाग की नजर महानगरों की महंगी संपत्तियों पर

मुंबई, आय कर विभाग ने अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी सब रजिस्ट्रारों और तहसीलदारों को पिछले 10 साल में पंजीकृत एक करोड़ रुपए या उससे अधिक कीमत की संपत्तियों की जानकारी देने को कहा है। विभाग ने बेनामी लेनदेन रोकथाम कानून, 1988 की धारा 21 (1) और पिछले साल 25 अक्टूबर की सीबीडीटी अधिसूचना के तहत उसे मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए अप्रैल 2007 से इस साल जून के दौरान हुए संपत्ति के सौदों की जानकारी मांगी है। बेनामी लेनदेन रोकथाम कानून में पिछले साल व्यापक संशोधन किए गए थे। अनुमानों के मुताबिक महानगरों में हर साल एक करोड़ रुपए से अधिक कीमत की संपत्ति के लगभग 50,000 सौदे होते हैं। अधिकांश सौदे रेडी रेकनर वेल्यू पर होते हैं। रेडी रेकनर रेट को स्टांप शुल्क और आय कर उद्देश्यों के लिए बाजार मूल्य के रूप में स्वीकार किया जाता है।
पिछले कुछ समय से कर अधिकारी संपत्ति के लेनदेन की जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहे हैं और अब यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इनमें काले धन का इस्तेमाल तो नहीं हुआ है। विभाग ने सब रजिस्ट्रारों से सभी तरह के पंजीकरण की जानकारी मांगी है। इनमें डेवलपमेंट एग्रीमेंट, किरायेदारी हस्तांतरण, बिक्री प्रमाणपत्र, फ्लैट, दफ्तर, व्यावसायिक परिसरों की बिक्री, विलय-अलग होना, संपत्ति का हस्तांतरण, तोहफे, एक करोड़ रुपये से अधिक के लीज एग्रीमेंट, संपत्ति गिरवी रखने, पावर ऑफ अटॉर्नी, संपत्तियों का विभाजन, रिलीज डीड, लीज और वर्क कांट्रेक्ट का स्थानांतरण आदि शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *