दलित नेता सुशील शिंदे को मैदान में उतरेगी कांग्रेस,बनाया जा सकता हैं महासचिव

नई दिल्ली, देश भर में दलित उत्पीड़न पर चल रही बहस के इस बीच कांग्रेस ने अपने अनुभवी दलित नेता और पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को जो कि वर्तमान में लूप लाइन में जा चुके हैं उन्हें सक्रिय राजनीति में वापस लाने का फैसला कर लिया है। बीजेपी द्वारा दलित नेता रामनाथ कोविंद को रायसीना भेजने की रणनीति के बाद कांग्रेस के ऊपर दलित नेतृत्व को आगे लाने का दबाव है। इसी वजह से कांग्रेस ने पहले मीरा कुमार को यूपीए की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाया फिर पी एल पुनिया को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया, खुद को दलित हितैषी बताने के लिए कांग्रेस भी अपने सबसे बड़े दलित चेहरे को बड़े पद पर बैठाने की तैयारी में है। शिंदे गृह मंत्री रह चुके हैं, राज्यपाल के पद का भी अनुभव उनके पास है, उनका लंबा संसदीय जीवन रहा है और पार्टी संगठन की नब्ज़ भी शिंदे जानते हैं। इसकारण कांग्रेस शिंदे के नाम पर दलित कार्ड खेलने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस के सूत्रों का दावा है कि शिंदे को महासचिव बनाया जायेगा, यही नहीं शिंदे को हिमाचल प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य का प्रभारी भी बनाया जायेगा। जिस जाति से शिंदे आते हैं वो अच्छी खासी तादात में प्रदेश में मौजूद है,शिंदे का कद भी ऐसा है जो आसानी से वीरभद्र जैसे कद्दावर नेता से सामंजस्य बैठा सकते हैं। कांग्रेस मानती है शिंदे का सौम्य व्यवहार वीरभद्र जैसे राजनेता को साधने में सहायक होगा,हाल ही में सहारनपुर में दलित हिंसा के मामले को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जोर-शोर से उठाया था,उसके बाद राहुल ने देश भर के दलित और आदिवासी नेताओं की बैठक ली। अलग आदिवासी प्रकोष्ठ बनाया, अब शिंदे को आगे लाकर वो दलित राजनीति को साधने की एक और कोशिश कर रहे हैं, राहुल की दलित वोटरों को साधने की इस कोशिश का कितना असर होगा ये आने वाले चुनावों में साफ हो जायेगा,फिलहाल तो कांग्रेस हर वो नुस्खा आजमा रही है जो उसके पुराने और परंपरागत दलित वोट बैंक को पार्टी से वापस जोड़ दे।इस रणनीति को 2019 की तैयारी के रुप में देखा जा रहा है।

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