VS मंदसौर गोली कांड और किसानों की आत्महत्याओं पर चलती रही चर्चा

भोपाल, विधानसभा के मानसून सत्र में मंदसौर गोली कांड और किसानों की आत्महत्याओं को लेकर विपक्ष द्वारा लगाए गए स्थगन पर सदन में लगभग 6 घंटे चर्चा चली l रात्रि 8 स्थगित हुई कारवाही के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह अपना व्यक्तव नहीं रख पाए l वे बुधवार को अपना व्यक्तव्य देंगे l इस चर्चा में 18 सदस्यों ने भाग लिया l चर्चा की शरुआत करते हुए कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की भाजपा सरकार के राज में किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिला पा रहा है l कॉर्पोरेट कंपनी और विचौलिये किसानों का हक डकार रहे है l उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि किसानों का आलू 5 रूपये प्रति किलो बिकता है l वही उसी से बने चिप्स 250 रुपये किलो बिकते है l कांग्रेस विधायक मुकेश नायक ने कहा मंदसौर गोलीकांड में पुलिस की गोली से निर्दोष किसान मारे गए l उन्होंने कहा कि सरकार गोली चलाने का आदेश देने वाले का नाम सार्वजानिक करें l नायक ने गोलीकांड के लिए गठित जाँच आयोग पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि प्रदेश में अब तक 12 जाँच आयोग गठित हुए लेकिन ये किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे l सत्तापक्ष की ओर से विश्वास सारंग ने कांग्रेस शासनकाल में हुए मुलताई गोलीकांड का जिक्र करते हुए कहा कि इस गोलीकांड पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने किसानों की मांग के अनुसार मुआवजा देने से साफ इंकार कर दिया था l सारंग ने कहा कि कांग्रेस के शासनकल में कृषि विभाग का बजट 250 करोड़ के आसपास हुआ करता था l वर्तमान भाजपा सरकार का बजट 4500 करोड़ है l वही कृषि मंत्री गौरीशंकर विसेन ने अपनी सरकार को किसान हितैषी बताते हुए कृषि क्षेत्र की उपलब्धियां गिनाई l

 सरकार किसान विरोधी इसलिए हो रहीं हैं हत्याएं और आत्महत्याएं -कांग्रेस

मध्य प्रदेश विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने किसानों के मामलों को प्रमुखता से उठाते हुए स्थगन प्रस्ताव लाया। इस पर सरकार ने भी विषय की गंभीरता को देखते हुए चर्चा पर सहमित जताई। इसके बाद सरकारी कार्यों को पूर्ण कर अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य करते हुए चर्चा की अनुमति प्रदान कर दी।
विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा शुरु करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य डॉ गोविन्द सिंह ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसानों के हितों में सरकार घोषणाएं तो बहुत करती है, लेकिन उन्हें जमीनी हकीकत में लाया नहीं जाता जिस कारण किसान आंदोलन करने को मजबूर होते हैं। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को दबाने के लिए गोली चलवाई जाती है, जबकि पुलिस अधिकारी कहते हैं कि उन्होंने गोली चलाने का आदेश दिया ही नहीं, फिर किसानों पर गोली आखिर किसके आदेश पर चलाई जाती है। गोविन्द सिंह ने सरकार को घेरते हुए तर्क दिया कि जो सरकार यह कहती है कि कृषि अब लाभ का धंधा बन गया है उसी सरकार के मुखिया के बयान को देख लें जिसमें वो यह कहते नजर आते हैं कि कृषिकार्य लाभ का धंधा नहीं है। इस प्रकार सरकार दो तरह की बात करती है। सदन में चर्चा में विधायक गोविंद सिंह ने आनंद मंत्रालय का मामला भी जोर-शोर से उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने आखिर आनंद मंत्रालय किनके लिए खोला है, किसानों के लिए या फिर सरकार में बैठे लोगों और बल्लभ भवन में बैठे अधिकारियों के लिए। सरकार पर तानाशाही का इल्जाम लगाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से किसानों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार और न्यायालय के स्पष्ट निर्देश हैं कि किसी आंदोलन को दमनकारी तरीके से न रोका जाए और यदि गोली चलाना भी पड़े तो कमर के नीचे ही गोली चलाएं। जबकि मंदसौर में जो किसानों को गोली मारी गई है वो उनके माथे पर , छाती पर या फिर भागते हुए की पीठ पर मारी गई है। चर्चा के बीच में सत्ता पक्ष के लोगों ने उठकर बोलना शुरु कर दिया, जिससे हंगामें की स्थिति निर्मित हो गई। अंतत: अध्यक्ष डॉ सीतासरन शर्मा द्वारा सत्ता पक्ष से शांत रहने और सदस्य की बात को सुनने की व्यवस्था देने के बाद सदन की कार्रवाई आगे बढी। विधायक गोविंद सिंह ने किसानों को फसल का उचित दाम नहीं मिलने और व्यापारियों द्वारा उनकी फसल का अच्छा लाभ उठाने का भी जिक्र किया। उन्होंने तर्क दिए कि शिवराज सरकार किसान विरोधी है जिस कारण प्रदेश का किसान आत्महत्या करने को मजबूर है।

सरकार कांग्रेस पर नही, किसानों पर ध्यान दें- जयवर्द्धन सिंह
स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राघौगढ़ से कांग्रेस विधायक जयवर्द्धन सिंह ने किसानों के मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा। सिंह ने चर्चा में भाग लेते हुये मंदसौर गोलीकाण्ड को सत्ता और विपक्ष सभी सदस्यों के लिये शर्मनाक बताया। उन्होने आश्चर्य प्रकट करते हुये कहा कि लगातार पांच वर्षों तक कृषिकर्मण अवार्ड प्राप्त करने वाली और विज्ञापनों में कृषि को लाभ का धंधा बताने वाली सरकार में किसानों पर गोली क्यों चल रही है और वे क्यों आत्महत्या कर रहे है। सत्ता पक्ष के विधायक किसानों पर ध्यान देने की बजाय कांग्रेस पर ध्यान दे रहे है जो उचित नही है।
सिंह ने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति गंभीर नही है। जब किसान गंभीर समस्याओं से पूरी तरह घिर जाते है तब सरकार उनके लिये घोषणाएं करती है और वे घोषणाएं भी ऐसी जिनका पूरी तरह से पालन नही होता। सिंह ने यह भी कहा कि सरकार यदि वास्तव में किसानों के प्रति संवेदनशील है तो वे यह घोषणा करें कि जब भी प्याज के दाम 8 रूपये प्रति किलो से कम होंगे, सरकार किसानों से 8 रूपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उन्हे खरीदेगी।
सिंह ने मुख्यमंत्री के किसानों को उनकी उपज का 50 प्रतिशत मूल्य नकद देने के आदेश पर भी चुटकी ली तथा कहा कि जब प्रधानमंत्री और आयकर विभाग के आदेश के अनुसार कोई भी व्यापारी एक दिन में 2 लाख रूपये से ज्यादा नगद भुगतान नही कर सकता तो किसानों को उनकी उपज का आधा मूल्य नगद कैसे मिल सकता है। यह किसानों के साथ मजाक है। सिंह ने खेती से प्राप्त आय को लागत से कम बताते हुये स्वामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करने की भी मांग की तथा किसानों की समस्याओं के लिये नोटबंदी को भी जिम्मेदार ठहराया।

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