… और अपने आप को ही भुला बैठी विजया

भोपाल,शहीद भवन में रविवार रात को नाटक मुझे अमृता चाहिए का मंचन किया गया। इसमें 21 वीं सदी में बहुत से ऐसे परिवारों को लक्ष्य कर नाटक की प्रस्तुति दी गई जहाँ आज लड़कियों के बाहर घूमने-फिरने को आवारागीरी माना जाता है। इसमें समाज के आँतरिक अंतर्द्वंद को बखूबी प्रदर्शित किया गया है। नाटक का मंचन यंग्स थियेटर फाउंडेशन की ओर से किया गया था। नाटक विजया नाम की लड़की के आस-पास केंद्रित है जिसमें यह बताया गया है की परिवार में अपनी उपेक्षा की वजह से कैसे वह अपनी हैसियत ही भुला बैठी है।

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