लखनऊ, विस्फोटक मिलने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में सुरक्षा कड़ी करने के लिए कई निर्देश दिए गए हैं। विधानसभा के बाहर फुल बॉडी स्कैनर लगाए जाएंगे। यह निर्देश विधानसभा के अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने दिए है। हालांकि फुल बॉडी स्कैनर के इस्तेमाल पर दुनियाभर में एक राय नहीं है और इस पर अब विवाद भी हो सकता है। निर्देश के मुताबिक विधानसभा की छह संवेदनशील जगहों पर फुल बॉडी स्कैनर लगाए जाएंगे। फुल बॉडी स्कैनर ऐसी मशीन होती है जो किसी भी शख्स के पूरे शरीर को स्कैन कर एक डिजिटल इमेज बना देती है। जिसे कंप्यूटर में देखकर ये पता लग जाता है कि कुछ छिपाया तो नहीं गया है। सुरक्षा के लिहाज से फुल बॉडी स्कैनर पहली नजर में सही फैसला लगता है लेकिन पूरी दुनिया में इसको लेकर एक राय नहीं है। बल्कि कई विवाद भी हो चुके हैं। पहले शख्स को मशीन के अंदर खड़ा होना होता है। फुल बॉडी स्कैनर की मशीन शरीर पर तरंगें फेंकती हैं, बिल्कुल उसी तरह जैसे एक्स-रे किया जाता है। तरंगों की मदद से पूरे शरीर की एक डिजिटल इमेज तैयार होती है, जिसे कंप्यूटर में सुरक्षाकर्मी देखते हैं। स्कैन में मेटल से बना सामान जैसे हथियार या फिर कोई और छिपी चीज पकड़ी जा सकती है। फुल बॉडी स्कैनर भारत में दिल्ली एयरपोर्ट पर अभी ट्रायल स्टेज में है। भारत के अलावा अमेरिका में भी फुल बॉडी स्कैनर का कई एयरपोर्ट पर सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होता है। लेकिन यूरोप में इसका इस्तेमाल बैन है। बैन करने की वजह प्राइवेसी यानी निजता का उल्लंघन होना है। दरअसल फुल बॉडी स्कैन से जो डिजिटल इमेज बनती है। वो बिना कपड़ों के ली गई तस्वीर जैसी दिखती है। जिसे लेकर कई संगठनों ने सवाल उठाए हैं। हालांकि विवाद होने के बाद तकनीक में कुछ बदलाव किए गए हैं और बिना कपड़ों की डिजिटल छवि बनने की जगह एक पुतले जैसी तस्वीर होने लगी है। अब सवाल ये है कि ऐसी मशीन से रोज गुजरने के लिए यूपी के विधायक तैयार होंगे। यूपी विधानसभा में सबसे ज्यादा 38 महिला विधायक हैं। ऐसे में कई महिला विधायक प्राइवेसी के मुद्दे पर स्कैनर के लिए शायद तैयार न हो। यही नहीं कुछ जानकारों ने फुल बॉडी स्कैनर को सेहत के लिए भी खतरनाक बताया है। आरोप लगते रहे हैं कि मशीन जो तरंगे इस्तेमाल करती है। उसका एक्सपोजर ज्यादा होने से कैंसर होने की आशंका होती है। हालांकि इस दावे की कभी भी पुष्टि नहीं हो सकी।