लखनऊ, देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद राष्ट्रपति के लिए होने जा रहे चुनाव में विपक्ष की संयुक्त प्रत्याशी मीरा कुमार समर्थन जुटाने के लिए शुक्रवार को उप्र की राजधानी लखनऊ पहुंची। यहां उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं से मिलकर उनसे समर्थन मांगा और अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने का अनुरोध किया। उनके प्रतिद्वंदी राजग प्रत्याशी रामनाथ कोविंद पहले ही उप्र आकर अपने समर्थन के लिए वोट अपील कर चुके हैं।
श्रीमती कुमार ने सबसे पहले बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती से मिलीं। उनके साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी व शकील अहमद भी मौजूद थे। इस दौरान मायावती ने मीरा कुमार का स्वागत किया। मायावती के साथ बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा भी मौजूद थे। इस मौके पर मीरा कुमार ने मायावती से अपने लिए समर्थन की अपील की। बसपा मुखिया मायावती ने साफ किया कि बसपा देश के राष्ट्रपति पद के चुनाव में रामनाथ कोविंद को समर्थन नहीं देगी। बसपा मीरा कुमार का साथ देगी। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने कहा कि बसपा सुप्रीमो ने निर्देश दिया है कि पार्टी की तरफ से मीरा कुमार का समर्थन किया जाए। हालांकि मायावती पहले ही मीरा को इस पद के लिए सही उम्मीदवार मान चुकी हैं, लेकिन अब तक उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
बसपा मुखिया से मिलने के बाद श्रीमती कुमार ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात कर उनसे भी समर्थन की अपील की। इस दौरान श्री यादव ने पूरे जोषो-खरोष से उनका स्वागत किया और अपने दल के समर्थन को लेकर उन्हें आष्वस्त किया। विदित हो कि उप्र में समाजवादी पार्टी के विधानसभा में 47 विधायक हैं, जबकि बहुजन समाज पार्टी के 19 विधायक हैं। जबकि सदन में कांग्रेस के सात विधायकों है।
बाद में कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बातचीत में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि मेरा यूपी से गहरा नाता है। 1985 में बिजनौर से लोकसभा का चुनाव लड़ा, ये मेरी कर्म भूमि है। कानपुर में मेरा ननिहाल है। सर्वोच्च पद का चुनाव होने जा रहा है। देश के प्रमुख दलों ने इस पद के चुनाव के लिए मेरा नाम चुना है। मेरे कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मैं पूरे देश का दौरा कर रही हूं। यूपी भी इसी कड़ी में आई। मुझे खुशी है कि यहां हमें बीएसपी, एसपी, आरएलडी का समर्थन मिल रहा है। आज सभी से मिल कर खुशी हुई है। उन्होंने कहा कि उन्हें दुख है कि देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का चुनाव जाति के आधार पर हो रहा है और इसी के खिलाफ वह मैदान में हैं।