भोपाल,प्रदेश सरकार के लिए प्याज अब परेशानी का सबब बनने लगी है। 10 से ज्यादा जिलों ने सरकार को खराब प्याज को नष्ट करने की अनुमति मांगी है। प्रतिदिन ऐसे जिलों की संख्या और प्याज की मात्रा बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) ने शासन को नियम तय करने का प्रस्ताव भेजा है। गौरतलब है कि
बाजार में प्याज की कीमत कम होने और किसानों की लागत नहीं निकलने पर सरकार ने आठ रुपए किलोग्राम के समर्थन मूल्य पर एक माह तक प्याज खरीदी। शनिवार तक 8 लाख 10 हजार टन से ज्यादा प्याज खरीदी गई। पांच लाख 60 हजार टन प्याज का परिवहन हो चुका है। बाकी की खरीदी केंद्रों से सीधी नीलामी की जा रही है और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से राशन दुकानों पर दो रुपए किलोग्राम में बिक्री शुरू कर दी गई है। मार्कफेड के अधिकारियों के मुताबिक खराब प्याज को नष्ट करने से पहले हर जिले में प्याज के स्टॉक का मिलान कराया जाएगा। इसमें जितनी खराब प्याज सामने आएगी, उसको सुरक्षित तरीके से गैर आबादी क्षेत्र में नष्ट किया जाएगा। इसके लिए नियमावली तैयार होगी, जिसका मसौदा सरकार को भेज दिया है। इसके साथ ही यह भी तय किया जाएगा कि किस वजह से प्याज खराब हुई। इसमें जिसकी लापरवाही प्रमाणित होगी, उसके खिलाफ कार्रवाई भी होगी। यदि खुले में प्याज रखी गई तो इसके लिए सक्षम अधिकारी से अनुमति ली या नहीं, ये सब देखा जाएगा।
प्रारंभिक रिपोर्ट जो मंत्रालय आई है उसके मुताबिक हर जिले में प्याज खराब हुई है। प्याज की खरीदी तो चुनिंदा जिले में की गई पर वहां से रेल रैक और ट्रकों के जरिए दूसरे जिलों में इसे भेजा गया। रैक से प्याज उतारने में इतना समय लगाया गया कि नीचे रखी प्याज खराब हो गई। इन जगहों के कलेक्टरों ने भी प्याज को ठिकाने लगाने की अनुमति मांगी है। वहीं, खरीदी केंद्र में तौल के बाद खुले में रखने और मंडी के प्लेटफॉर्म पर भीगने से बड़ी मात्रा में प्याज सड़ चुकी है। इस बारे में मार्कफेड के प्रबंध संचालक ज्ञानेश्वर पाटिल का कहना है कि सरकार ने प्याज खरीदी के वक्त जितने बंधन लगाए थे,उन सभी को हटा लिया गया है। अब व्यापारी अपनी मर्जी से कहीं भी कितनी मात्रा में प्याज ले जा सकता है। आठ से दस जिलों से प्याज के खराब होने की सूचना मिली है। इसे नष्ट करने की अनुमति भी मांगी गई है। इसके लिए नियम का मसौदा बनाकर शासन को निर्णय लेने के लिए भेजा गया है।